शनिवार, सितम्बर 23, 2023

दर्पण किसे कहते हैं? – प्रकार, उपयोग और प्रतिबिंब

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दर्पण हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है, और बहुत से कार्यों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। दर्पण विषय पर आधारित इस लेख में हम जानेंगे कि दर्पण क्या है?, दर्पण के प्रकार और उनके उपयोग आदि।

दर्पण किसे कहते हैं?

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दर्पण, काँच से बनी वह वस्तु होती है, जिसके एक तरफ चांदी या जस्ते की परत चढ़ाई जाती है, और उसके पश्चात वह प्रकाश के परावर्तन के सिद्धांत पर उस पर पड़ने वाले प्रकाश को या छवि को दर्शाती है।

दर्पण के प्रकार से प्रवर्तित छवि अलग-अलग हो सकती है, और वह परावर्तित छवि हमें कैसे दिखाई देती है वह दर्पण के प्रकार पर निर्भर करता है।

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दर्पण कितने प्रकार का होता है?

दर्पण मुख्यतः दो प्रकार का होता है। सबसे पहले समतल दर्पण और दूसरा गोलीय दर्पण होता है। होते हैं जिन्हें हम उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण के नाम से जानते हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि दर्पण के तीन प्रकार होते हैं, जो नीचे दिए गए हैं।

  • समतल दर्पण – Plane Mirror
  • उत्तल दर्पण – Convex Mirror
  • अवतल दर्पण – Concave Mirror

उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण दोनों ही गोलीय दर्पण के ही भाग होते हैं। जब किसी गोले को काट कर उस पर चमकदार पदार्थ की पॉलिश की जाती है तो उस पॉलिश के उस गोले के अंदर ही भाग और बाहरी भाग पर होने से उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण बनते हैं।

चलिए समझते हैं कि तीनों दर्पण में क्या अंतर है और किस प्रकार से वह किसी भी छवि या प्रकाश को परिवर्तित करते हैं।

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1. समतल दर्पण – Plane Mirror

यदि आपका सवाल है कि समतल दर्पण किसे कहते हैं? और उसे आसान भाषा में समझना चाहते हैं, तो आप उसे इस प्रकार से समझ सकते हैं, कि समतल दर्पण कांच की एक समतल प्लेट होती है। कांच की समतल प्लेट के एक तरफ चमकीले पदार्थ की पॉलिश कर दी जाती है, और जो भी प्रकाश या छवि उसके ऊपर पड़ती है, उसका प्रतिबिंब उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर छवि मौजूद होती है।

समतल दर्पण, plan mirror
समतल दर्पण, plan mirror

समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है। आभासी प्रतिबिंब आपको समतल दर्पण से उतनी ही दूरी पर नजर आएगा जितनी दूरी किसी भी वस्तु की समतल दर्पण से है।

समतल दर्पण के उपयोग:

  • घरों में दर्पण के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।
  • सबमरीन में पानी के नीचे से ऊपर की सतह पर देखने के लिए समतल दर्पण का उपयोग होता है।
  • सजावट के लिए, आभूषणों में और मंदिर या घर इत्यादि में समतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।
  • समतल दर्पण में परिवर्तित करने किसी एक बिंदु पर नहीं मिलती, इसीलिए इसे वास्तविक प्रतिबिंब का निर्माण करने के लिए उपयोग किया जाता है।

Note: समतल दर्पण का प्रतिबिंब सीधा और उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी दूरी किसी वस्तु की समतल दर्पण से है। इस दर्पण में कोई भी फोकस बिंदु नहीं बनता और फोकस बिंदु अनंत है।

2. उत्तल दर्पण – Convex Mirror

उत्तल दर्पण किसी भी गोलीय दर्पण का वह भाग होता है जिसके अंदर वाले भाग पर चमकीले पदार्थ की पॉलिश हो और उसका उभरा हुआ भाग परावर्तक पृष्ठ के रूप में काम करता हो।

नीचे दिए गए चित्र से आपको कल दर्पण को आसानी से समझ सकते हैं।

Convex Mirror, उत्तल दर्पण
Convex Mirror, उत्तल दर्पण

उत्तल दर्पण में किसी भी वस्तु का आभासी प्रतिबिंब C पॉइंट पर बनता है जैसा कि आप चित्र में C बिंदु को देख सकते हैं। उत्तल दर्पण में फोकस बिंदु F आभासी होता है।

उत्तल दर्पण के उपयोग:

  • वाहनों में साइड मिरर के रूप में उत्तल दर्पण लगाए जाते हैं।
  • विद्युत बल्ब के प्रवर्तक के रूप में इनका उपयोग किया जाता है।
  • खंभों पर या किसी रोड के T बिंदु पर इनका उपयोग ट्रैफिक को देखने में किया जाता है।

Note: उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब आभासी और सीधा बनता है। इसमें प्रतिबिंब का आकार वस्तु की तुलना में छोटा होता है।

3. अवतल दर्पण – Concave Mirror

अवतल दर्पण भी किसी गोलीय दर्पण का ही भाग होता है और इसमें उभरे हुए भाग यानी बाहरी भाग पर चमकीले पदार्थ की पॉलिश होती है जिससे अंदर वाला भाग परावर्तक पृष्ठ के रूप में कार्य करता है।

Concave Mirror, अवतल दर्पण
Concave Mirror, अवतल दर्पण

अवतल दर्पण में परिवर्तित किरणों का फोकस F बिंदु पर होता है, जो अवतल दर्पण के अंदर वाले भाग की तरफ ही बनता है। उत्तल दर्पण के विपरीत F बिंदु अवतल दर्पण में आभासी नहीं होता और परावर्तित किरण इस बिंदु पर आकर मिलती हैं।

अवतल दर्पण के उपयोग:

  • अवतल दर्पण को कुकिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
  • सूर्य की किरणों द्वारा किसी जगह पर आग जलाने के लिए किस दर्पण का उपयोग होता है।
  • चिकित्सालय में नाक, कान और दांत इत्यादि की जांच के लिए किस दर्पण का उपयोग होता है।
  • वाहनों की हेडलाइट में किस दर्पण का उपयोग किया जाता है।

Note: अवतल दर्पण में प्रतिबिंब वास्तविक होता है और वह उल्टा दिखाई देता है। परंतु यदि कोई वस्तु F बिंदु और P बिंदु के बीच रखी होती है तो प्रतिदिन आभासी और दर्पण के पीछे सीधा दिखाई पड़ता है। परंतु और सभी स्थितियों में प्रतिदिन हमेशा उल्टा होता है और दर्पण के सामने ही दिखाई देता है।

निष्कर्ष

इसलिए इसे दर्पण के विषय में यह निष्कर्ष निकलता है कि दर्पण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं जिनके एक तरफ पॉलिश करके प्रकाश का परावर्तन किया जाता है। तीनों प्रकार के दर्पण अलग-अलग कार्यों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।

यदि इस लेख से दर्पण किसे कहते हैं, दर्पण के प्रकार और उसके उपयोग को समझने में आपकी मदद हुई हो तो कृपया इसे दूसरों के साथ ही साझा करें। ताकि वह भी सरल हिंदी भाषा में इसके बारे में पढ़ सकें और इसे आसानी से समझ सके।


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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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