यह ऊर्जा का ही एक रूप है, जिसे ताप भी कहते हैं। यह एक जगह से दूसरी जगह है या एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित होती है। यह किसी भी पदार्थ के गर्म होने या ठंडा होने का कारण होती है, जिसे हम ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। यह एक प्रकार की ऊर्जा होती है, जिससे हमें किसी भी वस्तु या पदार्थ का तापमान महसूस होता है।
जब हम विज्ञान की पढ़ाई करते हैं तो वहां पर ऊष्मा का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि इसे जाने बिना आप किसी भी पदार्थ या वस्तु के तापमान का अध्ययन नहीं कर सकते हैं। किसी भी वस्तु या पदार्थ के तापमान या उसे तप के स्थानांतरण का अध्ययन इसके स्थानांतरण के नियम के द्वारा किया जाता है।
यह एक प्रकार की ऊर्जा है, और यह दो वस्तुओं के बीच उनके तापमान के अंतर के कारण एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित होती रहती है। स्थानांतरण के होने पर जो ऊर्जा एक जगह से दूसरी जगह पर जाती है उसे ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं।
ऊष्मा किसे कहते हैं?
यह एक प्रकार की ऊर्जा होती है, जो किसी भी वस्तु में उसके तापमान के कारण मौजूद होती है। हर वस्तु में अपनी ऊष्मा होती है, जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु के बीच उनके तापमान के अंतर के कारण स्थानांतरित हो सकती है। इसका स्थानांतरण उस वस्तु के तापमान और द्रव्यमान पर भी निर्भर करता है।
- Advertisement -
जब आप दो बर्फ के टुकड़ों को आपस में रगड़ते हैं, तो वह बर्फ के टुकड़े पिघल जाते हैं। हालांकि बर्फ के पिघलने के लिए गर्मी का कोई स्त्रोत नहीं होता। जब हम दो बर्फ के टुकड़ों को घिसते हैं, तो उस पर किया गया कार्य ऊष्मा में बदल जाता है, जिसके फलस्वरूप बर्फ के टुकड़े पिघल जाते हैं। इससे यह भी साबित होता है कि, यह ऊर्जा का ही एक रूप है।
गुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं?
जब किसी पदार्थ या चीज़ की भौतिक अवस्था में बदलाव के लिए उपयोग में लाई गई ऊष्मीय ऊर्जा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं। बर्फ़ से पानी में बदलना इसका एक अच्छा उदाहरण है। इस शब्द का सबसे पहले जोसेफ ब्लैक ने उपयोग किया था।
प्रकार कितने हैं?
- द्रव से वाष्प: पानी का वाष्प में बदलना
- ठोस से द्रव: बर्फ़ का पानी में बदलना
सूत्र: Q=[ML2T–2]
Q: अवस्था के परिवर्तन के समय मुक्त की गई या अवशोषित की गई ऊष्मा की कुल मात्रा
M: पदार्थ का द्रव्यमान
- Advertisement -
L: उस पदार्थ के उपयुक्त गुप्त ऊष्मा
ऊष्मागतिकी का प्रथम और द्वितीय नियम
1. प्रथम नियम
जब किसी गैस को स्थिर आयतन पर ऊष्मा दी जाती है, तो वह उस गैस के तापमान को बढ़ाने में खर्च होती है। परंतु जब किसी गैस को एक स्थिर दबाव पर गर्मी दी जाती है, तो उसका कुछ भाग उस गैस के आयतन बढ़ाने में खर्च होता है, और बाकी बचा हुआ भाग तापमान को बढ़ाने में खर्च होता है। प्रथम नियम से यह साबित होता है कि Cp बड़ा और Cu छोटा होता है।
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम रोबोट मेल और हेल्महोल्ड्स द्वारा दिया गया था। इस नियम को ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहा जाता है।
- Advertisement -
2. द्वितीय नियम
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम हमें यह बताता है कि, ऊष्मा ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में पूर्ण रूप से परिवर्तित नहीं किया जा सकता। जब भी इसे यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो वह 100% यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए ऐसा संभव नहीं है।
किसी भी अधिक ऊष्मा वाले स्त्रोत से ऊष्मा ली जाती है, तो उसका कुछ भाग कार्य में परिवर्तित होता है, अर्थात यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन हो जाता है, और शेष भाग कम ऊष्मा वाली वस्तु में स्थानांतरित हो जाता है।
द्वितीय नियम को साबित करने के लिए मुख्य कथन:
मात्रक
ऊष्मा को जूल में मापा जाता है, और इसका SI मात्रक Joule है। इसे नापने के और भी अलग अलग मात्रक मौजूद है जिनसे सीमा की मात्रा को नापा जाता है।
- जूल: यह ऊष्मा को मापने का SI मात्रक है।
- कैलोरी: इसे कैलोरी के रूप में थी नापा जाता है, और 1 ग्राम पानी का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उस मात्रा को कैलोरी कहते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय कैलोरी: अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के तहत, 1 ग्राम पानी के तापमान को 14.5 डिग्री सेल्सियस से 15.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा की कुल मात्रा को अंतरराष्ट्रीय कैलोरी कहते हैं।
- ब्रिटिश थर्मल यूनिट: ब्रिटिश थर्मल यूनिट इसे मापने का एक मात्रक है, जिसमें एक बूंद पानी का तापमान 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उस मात्रा को १ ब्रिटिश थर्मल यूनिट कहां जाता है।
इसके प्रभाव
हर वस्तु में उसमें मौजूद होती है और उसके अलग-अलग प्रभाव उस वस्तु या पदार्थ पर पड़ते हैं। ऊष्मा के कारण पड़ने वाले प्रभाव दो तरह के होते हैं जिनमें से सबसे अधिक परिवर्तन भौतिक परिवर्तन और दूसरा रासायनिक परिवर्तन होता है।
- भौतिक परिवर्तन: भौतिक परिवर्तन का अर्थ है कि उस वस्तु या पदार्थ की भौतिक संरचना में बदलाव होना जैसे उसका रंग रूप, अवस्था, आयतन इत्यादि में परिवर्तन होना भौतिक परिवर्तन होता है।
- तापमान में परिवर्तन: इसके कारण किसी भी वस्तु के तापमान में बदलाव होता है जो एक भौतिक परिवर्तन ही है।
- आयतन का बढ़ना या घटना: आमतौर पर किसी भी वस्तु में उर्जा के परिवर्तन से आयतन में भी परिवर्तन होता है, और ऊष्मा की मात्रा बढ़ने पर आयतन बढ़ता है।
- अवस्था परिवर्तन: ऊष्मा के कारण किसी भी पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन होना भौतिक परिवर्तन ही है जैसे किसी ठोस का द्रव में बदलना यादव का गैस में या फिर गैस का दरों में बदलना अवस्था परिवर्तन कहलाता है।
- रंग में बदलाव: किसी भी पदार्थ या वस्तु के रंग में भी बदलाव हो सकता है और यह एक भौतिक परिवर्तन है।
- अन्य परिवर्तन: पदार्थ में कई प्रकार के परिवर्तन हो सकते हैं जैसे विद्युत प्रतिरोधक, विलायक या बिलियन और रंग रूप में बदलाव आदि कुछ अन्य भौतिक परिवर्तन के उदाहरण हैं।
- रसायनिक परिवर्तन: इसके कारण रसायनिक परिवर्तन भी होते हैं और पोटेशियम क्लोराइड और मैंगनीज डाइऑक्साइड के मिश्रण को अगर गर्म किया जाए तो ऑक्सीजन गैस निकलती है, और एक रासायनिक परिवर्तन है।
ऊष्मा के संचालन के प्रकार
किसी भी पदार्थ, गैस या वस्तु के तापमान में अंतर होने के कारण उसमें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होती है और उच्च तापमान वाली वस्तु से निम्न तापमान वाली वस्तु की ओर ऊष्मा स्थानांतरित होती है जिसके संचरण के तीन प्रकार होते हैं।
- चालन: बिना कणों के संचालन के इसका स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है। इसमें ऊष्मा एक स्थान से दूसरे स्थान पर गतिमान होती है, परंतु कणों का संचालन नहीं होता। और यह मुख्यतः ठोस वस्तुओं में देखा जाता है।
- संवहन: इस प्रकार के स्थानांतरण में कणों का भी स्थानांतरण होता है, जिन की मदद से ऊष्मा एक स्थान से दूसरे स्थान स्थानांतरित होती है। द्रव पदार्थ में इसका स्थानांतरण, संवहन प्रक्रिया के द्वारा होता है।
- विकिरण: विकिरण प्रक्रिया में यह गरम वस्तु से ठंडी की तरफ बिना किसी कणों स्थानांतरण से प्रकाश की चाल से सीधी रेखा में संचालित होती है। यह विकिरण ऊर्जा एक प्रकार की विद्युत चुंबकीय तरंग है।
अन्य ज़रूरी जानकरियाँ: