दुनिया में कुल सात अजूबे मौजूद हैं, जिन्हें स्विट्ज़रलैंड देश की स्विस चैरिटी द्वारा सन 1999 में एक परियोजना को शुरू किया गया और वर्ष 2000 में सात अजूबों को निर्धारित किया गया। इसके बाद समय समय पर 7 अजूबे घोषित किए जाते हैं।
दुनिया भार में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है, जिन्हें दुनिया के सभी सात अजूबों के बारे में पता है। इस लेख में हमने दुनिया के सात अजूबे और उनके बारे में रोचक तथ्यों के बारे में बताया है। इस लेख में आपको ऐसी जानकारी मिलेंगी जो शायद आपको पहले ना पता हों।
दुनिया के सात अजूबे – 7 Wonders of the World in hindi
दुनिया के सात अजूबे जिन्हें अंग्रेज़ी में 7 Wonders of the World कहते हैं। लगभग 150 से 200 ईसा पूर्व इनके बारे में हेरोडोटस और कल्लिमचुस नाम के दो व्यक्तियों ने सोचा था, जो सन 2000 में स्विस चैरेटी द्वारा आयोजित परियोजना में यह सात दुनिया के अजूबे चुने गये।
यदि आप जानना चाहते हैं की यह दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं, तो आप नीचे दी गयी लिस्ट में यह जान सकते हैं। जिनमे मानव द्वारा निर्मित प्राचीन सभ्यता और कुछ सैकड़ों साल पुराने भी अजूबे शामिल हैं।
दुनिया के सात अजूबे:
- ताजमहल
- चीन की दिवार
- माचू पिच्चु
- कोलोज़ीयम
- क्राइस्ट रिडीमर
- चिचेन इत्जा
- पेट्रा
इन सभी को 7 Wonders of the World / दुनिया के सात अजूबे चुना गया, जो दुनिया के अलग अलग देशों में मौजूद हैं, और उन्हें उन देशों की हाई नहीं बल्कि दुनिया की धरोहर माना जाता है।
1. ताजमहल
अजूबे का नाम | ताजमहल |
स्थान | भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में |
वास्तुशैली | मुग़ल |
किसके द्वारा बनवाया गया | शाहजहाँ |
बनाने के उद्देश्य | शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में बनवाया |
ताजमहल भारत के 1 राज्य उत्तर प्रदेश में आगरा नामक शहर में स्थित है। यह एक मकबरा है जो शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। इसका निर्माण मुगल वास्तु शैली में किया गया है और ताजमहल के वास्तुशास्त्री का नाम उस्ताद अहमद लाहौरी है।
- संगमरमर के द्वारा ताजमहल का निर्माण हुआ है।
- यह एकमात्र ऐसा अजूबा है जिसे किसी प्रेमी ने प्रेमिका की याद में बनवाया था।
- ताजमहल का निर्माण वर्ष 1632 में शुरू हुआ और 1653 में इसका निर्माण पूरा हुआ था।
- इसके निर्माण में लगभग 20 हज़ार मज़दूरों ने काम किया था।
- ऐसा कहा जाता है कि शाहजहाँ ने सभी मज़दूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि वह दोबारा इसे ना बना सकें।
इस वास्तुशैली में न केवल मुगल बल्कि फारसी, पूर्व, इस्लामी और भारतीय वास्तुकला भी सम्मिलित है। ताजमहल का पूरा स्ट्रक्चर संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है, जो एक वर्गाकार आधार पर बना सफेद संगमरमर का मकबरा है। दुनिया के सात अजूबे में से यह एकमात्र ऐसा अजूबा है जो भारत देश में मौजूद है।
2. चीन की दिवार
नाम | चीन की दिवार |
स्थान | चीन देश की उत्तरी सीमा पर |
बनाने का उद्देश्य | सीमा रक्षा |
किसके द्वारा बनवाया गया | चीन के राज वंशों द्वारा |
कुल लम्बाई | 21,196 किलोमीटर |
चीन की दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार है जिसकी कुल लंबाई 21196 किलोमीटर है और इसे चीन के शासकों द्वारा अलग-अलग समय में चीन की उत्तरी सीमा में बनवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि चीन की दीवार को बनाने में लगभग 2000000 से लेकर 3000000 लोगों ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था और जो मजदूर काम करते-करते मर जाते थे उन्हें इसी दीवार में ही दफना दिया जाता था।
- चीन की दीवार को नग्न आंखों से अंतरिक्ष से पृथ्वी की निचली कक्षा से देखा जा सकता है।
- दीवार का निर्माण पांचवीं शताब्दी में शुरू हुआ था और 16 वीं शताब्दी तक उसका निर्माण अलग-अलग शासकों द्वारा किया गया।
- यह दीवार चीन के उत्तर में स्थित है।
- 20 से 30 लाख लोगों ने आजीवन काम करके इस दीवार का निर्माण किया था।
- चीन की दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा क़ब्रिस्तान कहा जाता है।
इसीलिए इसे दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहते है, और यह एकमात्र ऐसी दीवार है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। इसीलिए यह चीन की दीवार दुनिया के सात अजूबे में से एक है।
3. माचू पिच्चू
नाम | माचू पिच्चू |
स्थान | पेरू देश |
किसके द्वारा खोज गया | हीरम बिंघम |
संस्कृति | इंका सभ्यता |
प्रकार | इंका सभ्यता का एक शहर |
माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में स्थित देश पेरू में एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसका सम्बंध इंका सभ्यता से है। यह स्थल उरुबाम्बा घाटी में स्थित है, और इसकी ऊँचाई 2430 मीटर है। यह इंका सभ्यता का सबसे परिचित शहर है।
इस शहर का निर्माण 1430 ई. में हुआ था और इसको सन 1981 में पेरू का ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया। सन 1911 में हीरम बिंघम ने इस शहर को खोजा गया था, जिसके बाद यह शहर दुनिया की नज़रों में आया। हालाँकि यहाँ के स्थानीय लोग इसके बारे में जानते थे, परंतु इस शहर को हीरम बिंघम द्वारा खोजने के बाद यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया।
- इसे वर्ष 1911 में हीरम बिंघम द्वारा खोज गया था।
- माचू पिच्चू का निर्माण लगभग 1430 ई. में किया गया था।
- इस शहर के निर्माण में पोलिश किए पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
- माचू पिच्चू इंका सभ्यता की पुरातन शैली से बनाया गया शहर है।
- माचू पिच्चू के प्राथमिक भवनों में इंतीहुआताना (जो एक सूर्य का मंदिर है) और एक तीन खिड़कियों वाला कमरा मुख्य है।
हीरम बिंघम जब माचू पिच्चू की खोज की तो इसके कुछ शिल्प आपे साथ ले गये थे, जिनके बारे में सन 2007 में पेरू और येल यूनिवर्सिटी के बीच में समझौता हुआ कि वह उनको पेरू को वापस दे दिए जाएंगे। प्राचीन और संस्कृति होने के साथ अन्य विशेषताएं भी इस शहर में पाई जाती हैं इसीलिए यह एक दुनिया के सात अजूबे में से एक है।
4. कोलोसियम
नाम | कोलोसियम |
स्थान | इटली |
किस साम्राज्य से संबंधित है | रोमन साम्राज्य |
प्रकार | रोमन साम्राज्य का स्टेडियम |
निर्माण | वेसपीयन ने 70 AD में शुरू किया और टाइटस ने 80 AD में निर्माण पूरा किया। |
कोलोसियम रोमन साम्राज्य का एक बहुत बड़ा एलिप्टिकल एंफीथियेटर है। इसे रोमन साम्राज्य का एक अद्भुत नमूना और धरोहर माना जाता है। रोमन साम्राज्य ने इस कोलोसियम का निर्माण योद्धाओं के बीच लड़ाइयां करवाने के लिए किया था।
आज के समय इस कोलोसियम में होने योद्धाओं के बीच होने वाली लड़ाई और से प्रेरित होकर कई प्रकार की फिल्में भी बनी है। इस स्टेडियम में योद्धाओं को अलग-अलग जानवरों से भी लड़ना पड़ता था। एक अनुमान के मुताबिक इस स्टेडियम में लगभग 1000000 और करीब 500000 जानवरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
- कोलोसियम स्टेडियम रोमन साम्राज्य में योद्धाओं के बीच लड़ाइयां करवाकर मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाता था।
- इन लड़कियों में जो योद्धा भाग लेते थे उन्हें ग्लेडिएटर कहा जाता था और उन्हें दूसरे ग्लेडिएटर्स के साथ-साथ जानवरों के साथ भी करना पड़ता था।
- करीब 10 लाख लोगों ने मात्र मनोरंजन के लिए किस स्टेडियम में अपनी जान गवाई है।
- स्टेडियम में लगभग 5 लाख पशुओं ने अपनी जान गवाई।
कोलोसियम में योद्धाओं के बीच लड़ाई, योद्धाओं और जानवरों के बीच लड़ाई के साथ-साथ पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटक भी खेले जाते थे। इस स्टेडियम में लड़ने वाले योद्धाओं को ग्लेडिएटर कहा जाता था। दुनिया के सात अजूबे की लिस्ट में यह अजूबा सबसे खूंखार और लड़ाई से संबंधित मारा जाता है।
5. क्राइस्ट द रिडीमर
नाम | क्राइस्ट द रिडीमर |
स्थान | रियो डी जेनेरो, ब्राजील देश |
मूर्ति की ऊंचाई | 130 फिट (31 फिट आधार सहित) |
किस धर्म से संबंधित है | ईसाई धर्म |
किसकी प्रतिमा है | ईसा मसीह |
क्राइस्ट द रिडीमर 1 ईसा मसीह की प्रतिमा है जिसे रियो डी जेनेरो में स्थापित किया है। इस प्रतिमा को ब्राजील देश में रियो डी जेनेरो में स्थापित किया और इसे दूसरा सबसे बड़ा आर्ट स्टेचू माना जाता है।
इस मूर्ति को कंक्रीट और सॉपस्टोन से बनाया गया है जिसका निर्माण सन 1922 में शुरू हुआ और 9 साल के पश्चात 1931 में इसका निर्माण पूर्ण हुआ। आज यह प्रतिमा दुनिया के सात अजूबे में शुमार है और ब्राजील की पहचान बन गई है।
- इस प्रतिमा को खड़ी करने का पहली बार विचार अट्ठारह सौ पचास के दशक के मध्य में आया।
- सबसे पहले इस प्रतिमा को बनाने के लिए कैथोलिक पादरी प्रेडो मारिया बॉस ने इसाबेल से एक धार्मिक स्मारक बनाने के लिए धन देने की गुजारिश की थी।
- इस प्रतिमा को स्थानीय इंजीनियर हीटर डा सिल्वा कोस्टा ने तूफान किस किया है।
- क्राइस्ट द रिडीमर प्रतिमा का ढांचा फ्रांसीसी मूर्तिकार पोल लैंडोव्स्की उसकी द्वारा बनाया गया है।
दुनिया के सात अजूबे में से यह एकमात्र ऐसा अजूबा है जिसका निर्माण सबसे बाद में हुआ है या नहीं यह सबसे नवीनतम अजूबा है।
6. चिचेन इत्जा
नाम | चिचेन इत्जा |
स्थान | मेक्सिको |
सभ्यता | माया सभ्यता |
नाम का अर्थ | कुएँ के मुहाने पर |
प्रकार | सांस्कृतिक |
चिचेन इल्तजा एक सबसे प्राचीन मयान मंदिर है, जो विश्व प्रसिद्ध है और इसका संबंध माया सभ्यता से है। किचन इल्तजा का निर्माण 600 ईसा पूर्व को एक पिरामिड के आकार में किया गया था जिसकी ऊंचाई 79 फुट है.
इस मंदिर के चारों दिशाओं में सीढ़ियां बनाई गई हैं जिनकी कुल संख्या 364 है यानी हर दिशा में 91 सीढ़ियां इस मंदिर में मौजूद है।
- चिचेन इल्तजा नाम का अर्थ है कुए के मुहाने पर।
- यह निर्माण एक शुष्क इलाके में है जिसके अंदरूनी भाग में नदियां मौजूद है यानी सभी नदियां भूमिगत है।
- इस निर्माण के पास प्राकृतिक गड्ढे बने हुए हैं जिन्हें से सेनोट कहते हैं।
यह निर्माण अलग-अलग वास्तु शैलियां के रूप का प्रदर्शन करता है जिसमें मैक्सिक नाइट, केंद्रीय मेक्सिको और पक शैली शामिल है। दुनिया के सात अजूबे की लिस्ट में यह एक ऐसा अजूबा है जिसका आकार पिरामिड की तरह है।
7. पेट्रा
नाम | पेट्रा |
स्थान | जॉर्डन |
ऊँचाई | 810 मीटर |
निर्माण | लगभग 1200 ईसा पूर्व शुरू हुआ |
प्रकार | सांस्कृतिक |
जॉर्डन के मआन राज्य में यह एक ऐतिहासिक नगर है जो बड़े-बड़े पत्थरों और चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इस शहर को नींद पत्रों को काटकर बनाया गया है उन पत्रों का रंग लाल है इसीलिए इसे ROSE CITY भी कहा जाता है।
- शताब्दी ईसा पूर्व में पेत्रा नाबातियन ने इसे अपनी राजधानी घोषित किया था।
- यह पत्थरों को तराश कर बनाया गया शहर है।
- इसकी ऊंचाई 810 मीटर यानी लगभग 2657 फीट है।
- पेत्रा नाबातियन का विलय 106 ईसवी में रोमन साम्राज्य से हो गया था।
पेट्रा शहर को देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं, जो एक सांस्कृतिक वह ऐतिहासिक नगरी है। जिस पहाड़ के पुत्रों को काटकर इस शहर को बनाया गया है उस पहाड़ का नाम “होर” है। यदि दुनिया के प्राचीन शहरों को गिना जाए और दुनिया के सात अजूबे में से प्राचीन अजूबे गिने जाए तो यह उनमें से एक है।
हमें उम्मीद है कि आपको “दुनिया के सात अजूबे” लेख में दुनिया के सात अजूबों के नाम और उनके बारे में रोचक तथ्य अच्छी प्रकार से जानने और समझने को मिले हैं। यदि आपका इन से संबंधित कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं और यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे दूसरों के साथ भी साझा करें।
ज़रूर पढ़ें: