रविवार, सितम्बर 24, 2023

मानचित्र किसे कहते हैं? प्रकार एवं वर्गीकरण

- Advertisement -

धरातल पर मौजूद, देशों, नगरों और पर्वत-नदी इत्यादि के एक बड़े भूभाग को मानचित्र पर दर्शाया जाता है। मानचित्र दो शब्दों से मिलकर बना है मान+चित्र, इसमें मांग का मतलब मां या मूल्य है जबकि चित्र का मतलब उन सभी चीजों का चित्रण है जिससे इन सभी चीजों को दर्शाया जाता है।

पहले के समय किसी विशेष स्थान देश आदि के मानचित्र बनाए जाते थे परंतु आज के समय दूसरे ग्रहों, उपग्रहों और अंतरिक्ष में मौजूद चीजों के भी मानचित्र बनाए जाते हैं। किसी भी बड़े स्थान इत्यादि को एक छोटी सतह पर दर्शाया जाता है और जब इस प्रकार के मानचित्र ओं को एक साथ रखकर बहुत बड़े स्थान को देखा समझा जाता है तो उसे एटलस कहते हैं।

मानचित्र किसे कहते हैं?

मानचित्र किसे कहते हैं, manchitr kise kahte hain
मानचित्र किसे कहते हैं, manchitr kise kahte hain

किसी भी स्थान पर मौजूद पर्वत, नदी, पेड़, सड़क और नगर इत्यादि को किसी कागज या किसी चपटी सतह पर उसका चित्रण करके दर्शाया जाता है तो उसे मानचित्र कहते हैं। यह किसी भी क्षेत्र या स्थान का एक छोटा प्रतिनिधि चित्रण होता है।

मानचित्र को फोटो चित्र से अलग रखते हैं क्योंकि मानचित्र में रूढ़ चिन्ह द्वारा चीजों को दर्शाया जाता है, जबकि फोटो चित्र में किसी वस्तु या स्थान की वास्तविक आकृति दर्शाई जाती है। से आसान शब्दों में समझा जाए तो हम यह कह सकते हैं कि मानचित्र एक साधारण चित्र होता है जिस पर किसी भी स्थान, देश या प्रदेश की आकृति को चित्रित किया जाता है।

- Advertisement -

मानचित्र को अंग्रेजी में मैं कहा जाता है जबकि लैटिन भाषा में इसे मैपा बोला जाता है। लैटिन भाषा में मैपा का अर्थ चादर या तोलिया होता है।

मानचित्र के प्रकार एवं वर्गीकरण

मानचित्र को हम कई आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं परंतु मानचित्र के प्रकार मुख्य चार हैं।

  • स्थलाकृतिक के लक्षण के अनुसार
  • मापनी के अनुसार
  • उद्देश्य के अनुसार
  • रचना शैली के अनुसार

यदि मानचित्र को उनके उद्देश्यों के आधार पर वर्गीकृत करें तो दो मानचित्र के प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं।

  • सामान्य मानचित्र: सामान्य मानचित्र में सामान्य सूचनाओं का चित्रण होता है और उन्हें प्रदर्शित किया जाता है। जैसे किसी क्षेत्र में मौजूद पहाड़, शील, नदी, महासागर, नगर, पठार या बंदरगाह इत्यादि को दर्शाने के लिए सामान्य मानचित्र का उपयोग किया जा सकता है। सामान्य मानचित्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
    • लघु मापक: लघु मापक सामान्य मानचित्र में किसी बड़े क्षेत्र को किसी कागज पर दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए 100 किलोमीटर के क्षेत्र को 1 सेंटीमीटर क्षेत्र में किसी कागज पर दर्शना लघु मापक मानचित्र कहलाता है। एटलस मानचित्र में लघु मापक मानचित्र उपयोग होते हैं। इन मान चित्रों में एक बहुत बड़े क्षेत्र जैसे महाद्वीप, महासागर या पूरे विश्व या देशों की भौगोलिक इकाई को प्रदर्शित किया जाता है।
    • बृहद मापक: वृहद मापक मानचित्र में किसी छोटे क्षेत्र को कागज पर चित्रित किया जाता है। जैसे किसी गांव, जिले या किसी निवासियों क्षेत्र इत्यादि को दर्शना बृहद मापक या बड़ा मापक मानचित्र कहलाता है। इस प्रकार के मानचित्र में किसी क्षेत्र की जानकारी अधिक मात्रा में दर्शाई जाती हैं।
  • विशेष मानचित्र: जब किसी विशेष उद्देश्य के लिए किसी मानचित्र को बनाया जाता है तो वह विशेष मानचित्र की श्रेणी में आता है। इन मानचित्र ओं का निर्माण किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है और इसे अलग-अलग प्रकार में वर्गीकृत कर सकते हैं।
    • जलवायु मानचित्र: इस तरह के मैप में किसी क्षेत्र की जलवायु को दर्शाया जाता है, जिसका उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र की जलवायु को दर्शना होता है।
    • मौसम मानचित्र: मौसम मानचित्र में मौसम सम्बन्धी जानकारी मौजूद रहती है।
    • मृदा मानचित्र: किसी राज्य, देश या क्षेत्र में मृदा के प्रकार इसमें दर्शाए जाते हैं।
    • राजनीतिक मानचित्र: किसी भी क्षेत्र, गाँव, शहरों इत्यादि की सीमाओं को दर्शाने के लिए इस तरह के मैप बनाए जाते हैं।
    • सांस्कृतिक मानचित्र: सांस्कृतिक पैटर्न को दर्शाने के लिए इस मैप का तैयार किया जाता है।
    • जनसंख्या मानचित्र: जनसंख्या के घनत्व को इस मैप में दर्शाया जाता है।
    • आर्थिक मानचित्र: क्षेत्रीय योजना और रणनीतिक आर्थिक विकास को दर्शाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
    • ऐतिहासिक मानचित्र: इस मैप में ऐतिहासिक भूमि, स्थिति या किसी और भौगोलिक चीजों को दर्शाने के लिए यह मैप बनाए जाते हैं।
    • भूवैज्ञानिक मानचित्र: भूमिगत खनिज भंडार, खनन और भूवैज्ञानिक संरचना इत्यादि को दर्शाया जाता है।
    • भाषा मानचित्र: किसी भी क्षेत्र में बोले जाने वाली भाषा को इसमें दर्शाया जाता है।
    • प्रजातीय मानचित्र: प्रजाति का वर्गीकरण क्षेत्र या देश में मैप पर किया जाता है।
    • भौतिक मानचित्र: इसमें भौतिक चीजों को दर्शाया जाता है जैसे पर्वत, मैदान, पठार, महासागर आदि।

मानचित्र का उद्देश्य

धरातल पर पाए जाने वाली माननीय और प्राकृतिक लक्षणों को मापने के अनुसार उन्हें छोटे आकार में परिवर्तित करके समझने योग्य मानचित्र के रूप में मनाया जाता है। जब एक क्षेत्र इतना बड़ा होता है कि उसे आंखों से देख पाना और समझ पाना संभव नहीं होता तो उसे समझने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मानचित्र का निर्माण होता है।

- Advertisement -

पृथ्वी पर अलग-अलग आकृति की चीजें मौजूद हैं जैसे पर्वत, मैदान, नदियां, झीलें, पठार मृदा और जलवायु इत्यादि। इन प्राकृतिक चीजों के साथ साथ मानवीय क्रियाकलाप की पृथ्वी पर पाए जाते हैं जिन्हें मानचित्र से दर्शाया जाता है और यही मानचित्र का उद्देश्य होता है।

ज़रूर पढ़ें:

मानचित्र प्रक्षेप किसे कहते हैं?

गोलक पर खिचीं रेखाओं को एक निश्चित पैमाने के अनुसार समतल चौरस काग़ज़ पर उतारा जाता है। इस प्रकार से गोलाकार पृथ्वी के किसी भूभाग को एक समतल कागज या किसी सतह पर मानचित्र के रूप में उतारने के लिए ज्यामितीय विधियों का उपयोग किया जाता है, और उस मानचित्र का निर्माण होता है।

इस विधि से जब अक्षांश और देशांतर रेखाओं का जाल के आधार पर मान चित्र बनाया जाता है तो उस जाल या भू-ग्रिड को मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं। इसे आसान भाषा में इस तरह कह सकते हैं कि ग्लोब पर स्थित अक्षांश और देशांतर रेखाओं को किसी भी कागज या समतल सतह पर स्थानांतरित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप कहा जाता है।

मानचित्र प्रक्षेप के प्रकार

  • ज्यामितीय प्रक्षेप
  • अज्यामितीय प्रक्षेप
  • कागज के आकार के आधार पर प्रक्षेप
  • मानचित्र की विशेषता के आधार पर प्रक्षेप

मानचित्र का महत्व

जब बात किसी क्षेत्र को समझने या उस क्षेत्र की सीमाओं का अध्ययन करने की होती है तो उस समय मानचित्र का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।चाहे बात किसी क्षेत्र में किसी इमारत, पेड़, पौधों, नदी आदि को दर्शाने की हो या फिर किसी विशेष कार्य में किसी क्षेत्र में कोई अन्य चीज दर्शन नहीं हो तो उस समय मानचित्र सबसे आसान तरीका होता है, जिसकी मदद से हम संबंधित जानकारी को आसानी से पढ़ कर समझ सकते हैं।

  • मानचित्र सहित किसी भी बड़े भूभाग का अध्ययन आसानी से किया जा सकता है।
  • अलग-अलग चिन्हों द्वारा मैप पर अधिक से अधिक जानकारी को सुलभ तरीके से लिखा जाता है, जिससे उन तीनों द्वारा उन जानकारियों को पाना और समझना काफी आसान होता है।
  • किसी भी देश या राज्य के सीमा को मानचित्र द्वारा निर्धारित किया जाता है जिससे सीमा विवाद जैसी समस्याएं सुलझाने में इसका उपयोग होता है।
  • किसी विशेष कार्य जैसे कोई योजना आदि बनाने के लिए सरकार मानचित्र का उपयोग करती है।
  • क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को मैप पर दर्शाया जाता है।
  • पर्यटकों को दार्शनिक स्थल दर्शाने के लिए मैप का उपयोग किया जाता है।
  • मौसम विज्ञान में मानचित्र का उपयोग मौसम के अध्ययन के लिए किया जाता है।

मानचित्र की विशेषताएं

मानचित्र की विशेषताएं अनेकों प्रकार की हैं, और इन सभी विशेषताओं की वजह से ही इसे पूरे विश्व भर में उपयोग में लाया जाता है। नीचे कुछ मानचित्र की विशेषताएं दी गयी हैं।

  • इसकी मदद से किसी भी बड़े क्षेत्र को छोटे के काग़ज़ पर दर्शा सकते हैं।
  • मानचित्र में बहुत बड़े क्षेत्र के भू-भाग पर स्थित चीजों को चिन्हों द्वारा दर्शाया जा सकता है।
  • यह समझने में आसान और जल्दी सूचना को समझने में मदद करता है।
  • इसकी मदद से किसी भी जगह, प्रदेश या देश की सीमाओं को आसानी से समझ सकते हैं।
  • मान चित्र की मदद से दो देशों के बीच का सीमा विवाद समाप्त किया जाता है।
  • मानचित्र पर दूरी को पैमाने के आधार पर मापा जाता है।
  • मैप में ऐसी जगह और चीजों को दर्शाया जाता है, जिन्हें ऐसे देख पाना सम्भव नहीं है।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि आपको “मानचित्र किसे कहते हैं” सवाल का जवाब मिल गया होगा और आपको समझ में आया होगा कि मानचित्र के प्रकार और “मानचित्र के विशेषताएं क्या है?” यदि आपका कोई सवाल मानचित्र से संबंधित है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

Rashvinder
Rashvinder
मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
- Advertisement -

सम्बंधित जानकारी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

ज़रूर पढ़ें

नवीनतम