मुस्लिम समाज में हलाला एक प्रथा है, इसके खिलाफ भारत ने एक कानून भी बनाया है। परंतु बहुत सारे व्यक्ति यह नहीं जानते कि हलाला क्या है और हलाला कैसे किया जाता है। यह जानने से पहले की हलाला क्या है, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि, इस्लाम धर्म में तलाक के कितने प्रकार हैं और किस प्रकार से तलाक दिए जाते हैं और फिर हलाल कैसे होता है।
मुस्लिम धर्म में तीन प्रकार से तलाक लिया जाता है। पति-पत्नी में पुरुष ही इस प्रकार से तलाक देता है जबकि महिला का कोई भी अधिकार तलाक देने का नहीं होता है। यदि किसी कारणवश पति अपनी पत्नी को तलाक दे देता है और उसके बाद पति को अपनी गलती का एहसास होता है, और वह दोनों एक दूसरे के साथ रहना चाहते हैं, तो वह एक दूसरे के साथ दोबारा से शादी नहीं कर सकते। क्योंकि शरिया के मुताबिक पत्नी को हलाल की प्रक्रिया से गुजरना होता है जिसके बाद ही वह दोनों एक दूसरे के साथ शादी कर सकते हैं।
इस्लाम में तलाक के प्रकार
- तलाक-ए-हसन – इस्लाम धर्म में तलाक के इस प्रकार में पति अपनी बीवी को 3 महीने में तलाक बोलता है। इस तरीके में हर महीने में एक बार तलाक बोला जाता है और यदि पति अपनी पत्नी को तीसरे महीने में भी तलाक बोल देता है तो उन दोनों के बीच का रिश्ता खत्म हो जाता है। जब कोई पति पहली बार अपनी पत्नी को तलाक बोलता है, तो उसके बाद वह दोनों एक छत के नीचे एक साथ रहते हैं और यह सिलसिला दूसरे महीने भी चलता है। यदि दूसरे महीने में तलाक बोलने के बाद पति अपनी बीवी को तीसरे महीने में भी तलाक बोल देता है तो उन दोनों का पति पत्नी का रिश्ता खत्म माना जाता है।
- तलाक-ए-अहसन – इस्लाम में तलाक-ए-अहसन के तहत पति केवल एक बार ही अपनी पत्नी को तलाक बोलता है और उन दोनों को 3 महीने तक एक दूसरे के साथ एक छत के नीचे रहना होता है। यदि पति और पत्नी के बीच में सुलह हो जाती है तो तलाक को वापस लिया जा सकता है।
- तीन तलाक – इस्लाम धर्म के मुताबिक यदि कोई शहर यानी पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोल देता है तो उनका रिश्ता तुरंत वहीं पर खत्म हो जाता है। भारत देश में तीन तलाक गैरकानूनी है और वर्ष 2019 में भारत में तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किया गया था। तीन तलाक में पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलता है और दोनों का रिश्ता वहीं पर खत्म माना जाता है।
इस्लाम धर्म में यदि पति-पत्नी के बीच तलाक हो जाता है और उसके बाद वह दोनों एक साथ रहना चाहते हैं और उनके बीच में सुलह हो जाती है तो उसके बाद हलाला किया जाता है।
- Advertisement -
हलाला क्या है?
इस्लाम धर्म के अनुसार यदि पति-पत्नी के बीच में तलाक हुआ है तो वह दोबारा एक दूसरे के साथ शादी नहीं कर सकते। यदि वह दोनों एक दूसरे के साथ शादी करना चाहते हैं तो पहले पत्नी को किसी दूसरे शख्स से निकाह करना होगा। किसी दूसरे व्यक्ति से निकाह होने के बाद उसे तलाक लिया जाता है और फिर वह पत्नी अपने पहले पति से निकाह कर सकती है। इस पूरी प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है।
हलाला क्यों किया जाता है?
इस्लाम धर्म में शरिया के मुताबिक यदि किसी पुरुष ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दे दिया तो वह पुरुष उसे पत्नी से दोबारा शादी नहीं कर सकता है। ऐसा करने के लिए पत्नी को हलाल की प्रक्रिया से गुजरना होता है जिसमें औरत को किसी दूसरे शख्स से शादी करनी होती है।
जब वह दूसरा सेक्स उसे औरत को तलाक दे देता है तो वह पति अपनी पत्नी से दोबारा शादी कर सकता है। इस प्रक्रिया में यदि वह औरत किसी दूसरे शब्दों से शादी कर लेती है तो उसे दूसरे शख्स को तलाक देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यदि वह दूसरा शख्स तलाक देने से राजी नहीं होता है तो उन दोनों को ही पति-पत्नी के रूप में जीवन बिताना पड़ता है।
यदि दूसरा व्यक्ति उसे तलाक देने पर राजी हो जाता है तो वह उसे तलाक दे देता है जिसके बाद ही वह अपने पहले पति से शादी कर सकती है। इस्लाम धर्म में सरिया के मुताबिक यह प्रक्रिया की जाती है। यदि कोई मुस्लिम महिला को उसके पति द्वारा तीन तलाक दिया जाता है तो यह शरिया के मुताबिक अनिवार्य है कि उसे हलाल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा तभी वह दोबारा से शादी कर सकते हैं।
यदि वह दोबारा शादी नहीं करना चाहते तो वह महिला अलग रह सकती है। परंतु हलाला की प्रक्रिया तभी की जाती है जब वह दोनों एक साथ रहना चाहते हो।
- Advertisement -
पढ़ें:
समान नागरिक संहिता
महिला आरक्षण बिल क्या है? – इसके फ़ायदे
CAA क्या है? – CAA क़ानून की सभी जानकारी