भारत देश और विश्व में अलग-अलग क्रांतियों ने व्यवस्था परिवर्तन किया है जिससे कई प्रकार के सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए गए हैं। इसी प्रकार से लाल क्रांति ने भी कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया है और उसके साथ आर्थिक विकास में भी अपना सहयोग दिया है।
लाल क्रांति क्या है?
भारत में अलग-अलग प्रकार की फसलें बोली जाती हैं और इनका उत्पादन बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाता है इसीलिए भारत को कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। परंतु लाल क्रांति का उद्देश्य टमाटर की खेती में वृद्धि करना और मांस के प्रोडक्शन में वृद्धि करना है।
लाल क्रांति को वर्ष 1980 में शुरू किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य गेहूं, चावल और इस प्रकार की अन्य आम फसलों की तुलना में टमाटर की खेती में वृद्धि करना और मांस के प्रोडक्शन को बढ़ाना था।
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भारत में लाल क्रांति की शुरुआत और जनक
लाल क्रांति की शुरुआत भारत में सन 1980 में हुई थी और विशाल तिवारी को लाल क्रांति का जनक कहा जाता है। Lal Kranti में बागवानी फसलों को बढ़ावा देना था और इसमें टमाटर, प्याज और आलू जैसी फसलें आती है। आज के समय में भारत देश टमाटर के प्रोडक्शन में विश्व में तीसरे स्थान पर आता है और भारत के आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक टमाटर का प्रोडक्शन किया जाता है।
लाल क्रांति से भारत में टमाटर की अलग-अलग किस्मों का विकास हुआ जिससे और अधिक तेजी से टमाटर का उत्पादन बढ़ा जिससे बहुत सारे सकारात्मक प्रभाव पढ़े और टमाटर का मंडियो तक पहुंच होने के बाद किसानों को भी लाभ प्राप्त हुआ।
चीन में लाल क्रांति
सबसे पहले चीन में लाल क्रांति की शुरुआत हुई थी। माओ से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति के रूप में चीन में Lal Kranti वर्ष 1949 में शुरू हुई।
लाल क्रांति से टमाटर का प्रोडक्शन
इस क्रांति में बागवानी फसलों को प्राथमिकता दी गई और भारत में टमाटर रिप्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए लाल क्रांति की शुरुआत की गई। इस क्रांति के तहत टमाटर की नई क़िस्मों को किसानों द्वारा अपनाया गया जिससे टमाटर का उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ा है।
टमाटर के उत्पादन के साथ इस क्रांति के तहत इन टमाटर को मंडी तक पहुंचने में सप्लाई चैन की सुविधा भी सुधरी है और थोक बाजारों और मंडियों में आने से किसानों को भी लाभ प्राप्त हुआ है। परंतु अभी भी कुछ चुनौतियां इसमें शामिल हैं क्योंकि टमाटर बहुत तेजी से खराब हो जाता है जिस कारण किसानों को इसे तेजी से थोक बाजारों और मंडी में पहुंचाना पड़ता है।
क्योंकि टमाटर को ज्यादा दिनों तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता इसीलिए यदि टमाटर का प्रोडक्शन घटता है या बाढ़ जैसी समस्या इसी क्षेत्र में आती है तो इससे टमाटर के प्रोडक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ता है। इसीलिए टमाटर जैसे बागवानी फसलों को सभी राज्यों में महत्व देना अनिवार्य है जिससे किसी एक विषय क्षेत्र में समस्या उत्पन्न होने पर इस तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े।
लाल क्रांति से मांस का प्रोडक्शन
लाल क्रांति में टमाटर के उत्पादन के साथ दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा मास प्रोडक्शन का था। आज के समय में भारत में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती है और भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग मांसाहारी है। लाल क्रांति का उद्देश्य मास के प्रोडक्शन को बढ़ाना भी था और इसके अंतर्गत पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना, गुणवत्ता मानकों पर नियंत्रण रखना, मास को दूषित होने से बचाना और देशभर में बूचड़खाना के आधुनिकरण आदि आता है।
इस क्रांति में इन सभी के लिए एक विशेष योजना बनाई गई जिसके तहत बूचड़खाना और मांस प्रसंस्करण संयंत्रों को मंजूरी दी गई। ऐसा होने से मास की बेहतर गुणवत्ता के लिए शोध बड़े हैं और स्टोरेज इत्यादि से मास्को अधिक समय तक रखा गया। इन सभी के कारण मास्टर एक्शन में गुणवत्ता बड़ी है और मात्रा में भी वृद्धि हुई है।
आज के समय में उत्तर प्रदेश जो एक भारत का राज्य है सबसे बड़ा मांस का उत्पादक है जिसके बाद आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र का स्थान आता है।
लाल क्रांति किससे संबंधित है?
लाल क्रांति का सीधा संबंध टमाटर और मांस के उत्पादन से है। लाल क्रांति के बाद भारत में टमाटर जैसे बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ा है और मांस का प्रोडक्शन भी Lal Kranti से बहुत तेजी से बढ़ा है। आज के समय में टमाटर और मास का उत्पादन बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है, और भारत देश मांस का निर्यात भी करता है।
भारत देश में हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति इत्यादि अनेकों प्रकार की क्रांतियों ने अपना अलग-अलग योगदान दिया है जिससे कृषि और अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से बढ़ावा मिला है। इसी प्रकार से Lal Kranti ने भी अपना कृषि क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है और मांस के प्रोडक्शन के साथ-साथ इसके रखरखाव इसकी गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हुई है।
निष्कर्ष
Lal Kranti के बाद भारत में पोल्ट्री फार्म और टमाटर के उत्पादन में वृद्धि हुई है। इसके उत्पादन के लिए भारत सरकार द्वारा बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में लाल क्रांति ने अपना एक विशेष योगदान दिया है और इसके बाद टमाटर की थोक बिक्री और मंडियों तक पहुंच बड़ी है और मांस के प्रोडक्शन में वृद्धि के साथ-साथ इसके रखरखाव और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हुई है।
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