कंप्यूटर या मोबाइल जैसी डिवाइस को चलाने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर अलग-अलग डिवाइस और प्रोग्राम की मदद से वह कार्य करता है, और इन सभी डिवाइस और प्रोग्राम को चलाने के लिए यह एक Master प्रोग्राम होता है, जिसे ऑपरेटिंग सिस्टम कहते हैं।
यह किसी भी कंप्यूटर को कार्य करने के लिए जरूरी है, और इसके बिना कोई भी कंप्यूटर या मोबाइल नहीं चलाया जा सकता। कंप्यूटर या मोबाइल को चलाने के लिए अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद है, इन सभी के बारे में हम यहां पर चर्चा करेंगे।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर के अंदर मौजूद दूसरे सभी प्रोग्राम का संचालन करता है। इसकी मदद से यूजर आसानी से कंप्यूटर सिस्टम में कार्य कर सकता है और अपने निर्देश दे सकता है। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम और हार्डवेयर इसकी मदद से ही अपना कार्य करते हैं।
इसके बिना कोई भी कंप्यूटर या मोबाइल शुरू नहीं होता और वह एक निर्जीव के समान रहता है। इसकी मदद से हार्डवेयर में जान डाली जाती है और यह हार्डवेयर को चलाने के साथ सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए भी सुविधा देता है।
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ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य
यह कंप्यूटर का संचालन करता है और यूजर को कोई भी निर्देश देने की सुविधा देता है। नीचे दिए गये इसके कार्य हैं, जिनसे आप इसके कार्यों और महत्वता को समझ सकते हैं।
- सरल माध्यम – कंप्यूटर सिस्टम और यूजर के बीच में यह मध्यस्थ करता है और कमांड देने के लिए कोडिंग या प्रोग्रामिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह सभी इसी के कारण ही संभव हो पता है। जिस प्रकार से आप अपना एक विंडोस कंप्यूटर चलाते हैं तो आप एक माउस के क्लिक से ही फाइल खोल सकते हैं या इंटरनेट सर्फ कर सकते हैं। यह सभी कार्य कोडिंग और प्रोग्रामिंग कमांड द्वारा भी किया जा सकता है, परंतु ऑपरेटिंग सिस्टम के ग्राफिकल इंटरफेस को उपयोग करना बहुत ही सरल है।
- हार्डवेयर की सूचनाओं को छुपाना – जब यूजर, कंप्यूटर को कोई निर्देश देता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम और हार्डवेयर एक साथ कार्य करते हैं और यूजर को सिर्फ परिणाम दिखाई देता है। परिणाम से पहले हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच जो वार्तालाप होती है वह छुपा दी जाती है जिसका यूजर के लिए कोई मतलब नहीं होता है।
- सरल कंप्यूटर सिस्टम – कंप्यूटर सिस्टम बाइनरी संख्या में ही डाटा को समझता है, परंतु यूजर के लिए बाइनरी संख्या में निर्देश देना संभव नहीं है। इसलिए ऑपरेटिंग सिस्टम इसे यूजर फ्रेंडली बनता है और यह है उसे भाषा में बनाया जाता है जिसे इंसान अच्छी प्रकार से समझ सके। मनुष्य अपनी भाषा में कंप्यूटर को निर्देश देता है जिसके बाद बाइनरी संख्या डाटा द्वारा निर्देश पहुंचता है, और उसे बाइनरी संख्या में मिले परिणामों को सरल भाषा में यूजर तक दिखाया जाता है।
- संसाधनों का प्रबंध – कंप्यूटर में संसाधनों का प्रबंध ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाता है और किस कार्य के लिए कितनी मेमोरी की आवश्यकता है और यह सूचना हार्डवेयर को देना ओपनिंग सिस्टम द्वारा ही होता है। आप उदाहरण के लिए यदि आप कोई फाइल सेव करना चाहते हैं, तो उसे फाइल के साइज के हिसाब से वह फोल्डर में आपको जगह देगा, और इसके बाद ही आपकी फाइल फाइल मैनेजर में सेव होगी।
- मध्यस्थता – यह हार्डवेयर और यूजर के बीच मध्यस्थता करता है, और जो निर्देश यूजर द्वारा दिए जाते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम उन्हें समझ कर हार्डवेयर को निर्देश देता है और हार्डवेयर से प्राप्त हुए परिणामों को सरल भाषा में यूजर को दिखाता है। उदाहरण के लिए जब आप वीडियो कॉल आदि करते हैं, तो वह निर्देश ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा समझकर हार्डवेयर तक पहुंचा दिया जाता है जिसके बाद हार्डवेयर अपना कार्य करता है।
- मेमोरी मैनेजमेंट – हमारे कंप्यूटर में दो तरह की मेमोरी मौजूद होती है जिसे हम प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी के नाम से जानते हैं। प्राइमरी मेमोरी में RAM और ROM शामिल है और सेकेंडरी मेमोरी में सीडी, हार्ड डिस्क और डीवीडी इत्यादि आती है। जब भी हम कंप्यूटर में कोई कार्य करते हैं तो उसे समय मेमोरी की आवश्यकता पड़ती है। जैसे किसी प्रोग्राम को इंस्टॉल करना, किसी फाइल को सेव करना या इसे चलाने के लिए भी प्रोसेसिंग में मेमोरी की आवश्यकता पड़ती है। इस मेमोरी का मैनेजमेंट इसके द्वारा किया जाता है।
- फाइल मैनेजमेंट – जवाब किसी फाइल को अपने कंप्यूटर में से करते हैं तो वह एक फोल्डर या डायरेक्टरी के रूप में सेव हो जाती है। कंप्यूटर में लाखों-करोड़ों की संख्या में फाइल मौजूद होती है और इन लाखों करोड़ों फाइल को व्यवस्थित रखना ऑपरेटिंग सिस्टम का ही कार्य है।
- CPU मैनेजमेंट – किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर को चलाने के लिए प्रोसेसर की आवश्यकता होती है। और सीपीयू मैनेजमेंट का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ही देखा जाता है।
इसके प्रकार
- सिंगल यूजर
- मल्टी यूजर
- मल्टी प्रोसेसिंग
- नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम
- मल्टी थ्रेडिंग
- रियल टाइम
- मल्टी टास्किंग
- बैच प्रोसेसिंग
- टाइम शेयरिंग
- डिसटीब्युटेड
- एंबेडेड
मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम
- विंडोज – यह कंप्यूटर में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है, Windows XP, Windows 7, Windows 8, Windows 10 इसके कुछ पॉपुलर वर्जन है। इसका सबसे अधिक उपयोग कंप्यूटर में किया जाता है और इसके अलावा नोकिया के कुछ मोबाइल में भी यह उपयोग किया गया है।
- मैक – इसे एप्पल कंपनी ने बनाया है और एप्पल के लैपटॉप्स और डेस्कटॉप के लिए इस्तेमाल होता है।
- लाइनेक्स – यह एक फ्री ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका इस्तेमाल फ्री में किया जा सकता है। इसका उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल प्रोग्राम स्मार्ट टीवी और गेमिंग कंसोल के साथ दूसरी डिवाइस में भी किया जाता है। सुपर कंप्यूटर में इसका इस्तेमाल किया जाता है जिसका एक कारण इसका वायरस फ्री होना भी है।
- क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम – इसे गूगल द्वारा बनाया गया है और आप कंप्यूटर और मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का मिक्सर कह सकते हैं। इसकी मदद से आप एंड्रॉयड एप्लिकेशन को अपने कंप्यूटर में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- एंड्राइड – आज के समय में मोबाइल फोन में दुनिया का सबसे ज्यादा उसे होने वाला और पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड ही है। इसे मोबाइल फोन के लिए गूगल द्वारा बनाया गया है जिसका इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है।
- आईओएस – यह iPhone और iPad डिवाइस के लिए डिजाइन किया गया है और एप्पल कंपनी इस ऑपरेटिंग सिस्टम को अपने मोबाइल फोन में उसे करती है।
- ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम – ब्लैकबेरी स्मार्टफोन में यह इस्तेमाल होता है। आज के समय में इसे बहुत कम उपयोग किया जाता है, क्योंकि ब्लैकबेरी स्मार्टफोन की डिमांड अभी मार्केट में नहीं है जिस कारण यह बंद हो चुका है।
- सैम्बीयन – इसका उपयोग मोबाइल फोन में किया जाता है, नोकिया के छोटे फोन और अन्य इस प्रकार के मोबाइल फोन में इसका उपयोग किया जाता है। कीपैड मोबाइल फोन में इसका इस्तेमाल किया जाता था, परंतु एंड्रॉयड के आने के पश्चात यह है पिछड़ता चला गया।
विशेषताएं क्या है?
- यह कंप्यूटर को उपयोग करने के लिए यूजर फ्रेंडली सिस्टम देता है और कंप्यूटर को इस्तेमाल करना आसान बना देता है।
- Device drivers की मदद से यह हार्डवेयर के साथ communicate करता है।
- CPU, प्रोग्राम और टास्क के साथ मेमोरी मैनेजमेंट करता है।
- Software को चलाने के लिए वातावरण देता है।
- सभी फाइल को मैनेज करता है और सम्बंधित सुविधा प्रदान करता है।
- Performance को Improve करता है, और System Health को मॉनिटर करता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम किसी भी डिवाइस को वाइरस हमलों से सुरक्षित रखने में मदद करता है, और गड़बड़ियों की जानकारी देता है।
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