पाइथागोरस थ्योरम गणित ट्रिग्नोमेट्री में एक महत्वपूर्ण विषय है। इस थ्योरम में समकोण त्रिभुज के वर्गों के बारे में हैं। यह समकोण त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बीच का सम्बंध बताती है। पाइथागोरस थ्योरम के समीकरण को a²+b²=c² फॉर्मूला से अभिव्यक्त करते हैं।
Pythagoras Theorem को यूनान के एक गणितज्ञ पाइथागोरस ने दिया था। प्राचीन काल में इस चोरों को भारतीय गणितज्ञ बौधायन ने भी जाना था, इसलिए इसे बौधायन थ्योरम भी कहते हैं।
पाइथागोरस थ्योरम क्या है?
पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार एक समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग त्रिभुज के अन्य दो पक्षों के वर्गों के योग के बराबर होता है। यदि A लंबवत है, B आधार है और C कर्ण है, तो a²+b²=c² होगा।
समकोण त्रिभुज में कर्ण भुजा सबसे लम्बी भुजा होती है, और अन्य दो भुजाओं में से एक आधार और एक लंब होती है। हिंदी में पाइथागोरस प्रमेय का सूत्र – (कर्ण)² = (आधार)² + (लम्ब)²
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Note: Pythagoras Theorem को हिंदी में पाइथागोरस प्रमेय कहते हैं।
Pythagoras Theorem का Proof
एक सीधा रेखा AD खिंची है, जो D बिंदु पर BC रेखा से मिलती है।
हम यह जानते हैं, कि यदि एक समकोण त्रिभुज के कर्ण से समकोण की ओर से एक रेखा खींचा जाता है, तो लम्बवत् के दोनों किनारों पर दो त्रिभुज एक दूसरे के बराबर होते हैं।
△ADB ~ △ABC = 90°
Angle A = Angle A
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दोनों त्रिभुजों में कोण A मौजूद है।
AA Similarity के नियम के अनुसार, जब दो त्रिभुज एक समान होती हैं, तो उनकी corresponding sides का अनुपात भी बराबर होता है. इसलिए,
AD / AB = AB / AC
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AB × AB = AD × AC
(AB)2 = AD × AC ———– (1)
त्रिभुज BDC और ABC में,
△ BDC ~ △ABC = 90° , इसलिए
CD / BC = BC / AC
BC × BC = CD × AC
(BC)2 = CD × AC ———–(2)
समीकरण (1) और (2) को जोड़ने पर,
(AB)2 + (BC)2 = AD × AC + CD × AC
(AB)2 + (BC)2 = AC (AD + CD)
त्रिभुज से, AD + CD = AC
(AB)2 + (BC)2 = AC × AC
इसलिए
(AB)2 + (BC)2 = (AC)2
समकोण त्रिभुज सिद्ध होता है।
पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग
- पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग चतुर्भुज के विकर्ण को पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- किसी वर्ग के विक्रण को ज्ञात करने के लिए इसका उपयोग होता है।
- किसी भी त्रिभुज को समकोण त्रिभुज होने को याद करने के लिए इसका उपयोग होता है।
- समकोण त्रिभुज में करण भुजा को ज्ञात करने के लिए इसका उपयोग होता है।
गणितज्ञ Pythagoras का परिचय
Pythagoras एक गणितज्ञ थे जिनका जन्म सामोस नाम के द्वीप में 570 ईसा पूर्व हुआ था। यह द्वीप यूनान में है और उनके पिता एक व्यापारी थे। उन्होंने अपने पिता के साथ देशों की यात्रा की और ऐसे ही अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने सायरस से अपनी दर्शन शास्त्र की शिक्षा ली थी और मिलट्स की यात्रा में उनकी मुलाक़ात थेल्स से हुई जो एक गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के विद्वान थे।
थेल्स से हुई मुलाक़ात ने उनके गणित और अंतरिक्ष के लिए बहुत प्रेरित किया और थेल्स के शिष्य अनाक्षिमैंडर को इन्होंने अपना गुरु बनाया। इसके बाद इन्होंने गदित के बारे में गहन अध्ययन किया। अनाक्षिमैंडर और Pythagoras के अंतरिक्षीय और ज्यामितिय सिद्धांत मिलते जुलते हैं।
Pythagoras Theorem से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी
पाइथागोरस प्रमेय का जनक कौन है?
यूनान के एक गणितज्ञ पाइथागोरस, पाइथागोरस प्रमेय के जनक हैं, इन्होंने इस प्रमेय को अपना नाम दिया और यह उनके नाम से जानी गयी। प्राचीन काल में भारतीय गणितज्ञ बौधायन ने भी इस प्रमेय को जाना था, इसलिए इसे बौधायन थ्योरम भी कहते हैं।
पाइथागोरस प्रमेय के कितने प्रमाण हैं?
कुल 371 से भी अधिक इस प्रमेय के प्रमाण हैं, जिन्हें 1927 में इकट्ठा किया गया।
पाइथागोरस प्रमेय किस त्रिभुज से संबंधित है?
यह प्रमेय समकोण त्रिभुज से सम्बंधित है, जो समकोण में तीनों भुजाओं की लंबाई और उनके सम्बंध को दर्शाती है।
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