रविवार, सितम्बर 24, 2023

गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं? – Gravity in Hindi

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गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं?

Gravity in Hindi, गुरुत्वाकर्षण बल

Gravity in Hindi – ब्रह्मांड में मौजूद सब पिंड, पदार्थ और हर एक कण जो द्रव्यमान युक्त हो एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। इनका एक दूसरे की तरफ आरोपित आकर्षण, खिंचाव या बल को ही हम गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force)कहते हैं।

सभी ग्रहण का सूर्य के चारों और चक्कर लगाना, चंद्रमा का पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाना, हर एक कण का दूसरे किसी कण की और आकर्षण, पृथ्वी की और गिरती हुई किसी भी वस्तु का पृथ्वी की तरफ खिंचाव इन सब घटनाओं के पीछे गुरुत्वाकर्षण बल ही कार्य करता है।

यह बल बहुत क्षीण और कमजोर बल होता है, जो कणों के द्रव्यमान के कारण लगता है। यह बल इतना क्षीण होता है की कई बार तो इसका मापन करना भी लगभग असंभव होता है।

गुरुत्वाकर्षण किसे कहते हैं? – Gravity in Hindi

जब कोई भी ब्रह्मांड में मौजूद पिंड, पदार्थ या द्रव्यमान युक्त हर एक कण एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं तो उनके इस आकर्षण या फिर उनकी इस प्रवृति को ही हम गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।

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गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम

  1. न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton’s Law of Gravitation): सर आइजेक न्यूटन ने अपनी पुस्तक ”फिलॉसफी, नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथमैटिका/प्रकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धान्त” जो की 1687 में प्रकाशित हुई थी, में गति और सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम के विषय में बताया है।

    दो कणों के मध्य लगने वाला आकर्षण बल उन दो कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है और उन दोनों कणों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। दोनों कणों के बीच लगने वाले इस बल की दिशा उन दोनों कणों को जोड़ने वाली रेखा की सीध में ही होती है।

    कभी कभी हम इस नियम को गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग का नियम (Inverse Square Law) भी कहते हैं। इस नियम को निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:-

    माना की एक कण का द्रव्यमान (mass) m1 है, दूसरे कण का द्रव्यमान (mass) m2 है और दोनों के बीच r दूरी है, अगर उन दोनों कणों के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल F हो तो, इस नियम के अनुसार:

    F  ∼  m1m2

    F ∼ 1/r²

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    F ∼ m1m2/ r²

    F = Gm1m2/ r²       (यहाँ G का मान समानुपाती नियतांक (Constant) होता है, जिसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक या फिर Universal Gravitational Constant भी कहते हैं)

    G का मान होता है,  G = 6.67 X 10-¹¹ न्यूटन x मी.²/ की. ग्रा.² (यह मान SI पद्धति में है)

    G = 6.67 X 10 -8 डा इन – सेमी 2/ gram 2 (यह मान CGS पद्धति में है)

    G का मान अगर बहुत कम हो तो कम द्रव्यमान वाले पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल बहुत कम या फिर महसूस ही नहीं किया जाता है। दूसरी तरफ अगर द्रव्यमान अधिक हो तो यह बल भी अधिक ही होता है।

    न्यूटन ने अपने गुरुत्वाकर्षण के नियम में बताया है की यह बल सिर्फ पृथ्वी की और गिरने वाली किसी वस्तु या चंद्रमा का पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाने के लिए ही उतरदायी नहीं है बल्कि ब्रह्मांड में मौजूद हर एक वस्तु किसी अन्य वस्तु को अपनी और आकर्षित करती है के लिए भी उतरदायी है।

  2. केप्लर का नियम: केप्लर एक जर्मन खगोलविद थे जिनहोने ग्रहीय गति के तीन नियम दिये थे जो निम्नलिखित हैं:-

    • केप्लर का प्रथम नियम (कक्षाओं का नियम): सब गृह दीर्घवृताकार कक्षाओं में सूर्य के चारों और चक्कर लगाते हैं और सूर्य उन कक्षाओं के फोकस में होता है।
    • केप्लर का दूसरा नियम: प्रत्येक गृह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा एक समान समय में एक समान क्षेत्रफल को पार करती है या फिर यूं कहें की हर एक गृह की क्षेत्रीय चाल नियत रहती है। इसका अर्थ यह है की जब भी कोई गृह सूर्य से दूर होता है तो उस गृह की चाल कम हो जाती है।
    • केप्लर का तीसरा नियम (परिक्रमण काल का नियम): गृह जीतने समय में सूर्य के चारों और अपना चक्कर लगाता है उसे उस गृह का परिक्रमण काल कहते है। सूर्य के निकटतम गृह का परिक्रमण काल कम होगा और दूरस्थ गृह का परिक्रमण काल अधिक होगा क्योंकि इस नियम के अनुसार परिक्रमण काल का वर्ग, सूर्य की गृह से औसत दूरी के घन के अनुक्रमानुपाती होता है।
  3. भास्कराचार्य का गुरुत्वाकर्षण का नियम: इस नियम को एक शताब्दियों पूर्व पहले किए हुए एक प्रश्न द्वारा समझा जाता है, जो की लीलावती ने अपने पिता भास्कराचार्य से किया था की –  ”पिताजी, पृथ्वी जिस पर हम रहते हैं, वह जिस चीज पर टिकी हुई है?”


    उत्तर – ”बाले लीलावती!, बहुत से लोग कहते हैं की यह पृथ्वी कछुए, शेषनाग या हाथी पर टिकी हुई है, अगर उनकी बात मान भी ली जाए तो यह प्रश्न फिर भी बना ही रहेगा की पृथ्वी उस चीज पर टिकी है तो वो चीज किस पर टिकी हुई है। क्या हम यह नहीं कह सकते की पृथ्वी अपने ही बल पर टिकी है, जिसे गुरुत्वाकर्षण कहते हैं, तो इस बात में क्या दोष होगा?

    इस बात पर लीलावती पुछती है की यह कैसे संभव हो सकता है? इसके उत्तर में भास्कराचार्य कहते हैं की वस्तुओं की शक्ति बहुत विचित्र है।

    मरुच्लो भुरचला स्वभावतो यतों।
    विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।


    आकृष्टिशक्तिश्च महि तया यत खस्थं।
    गुरुस्वाभिमुखम स्वशक्तत्या।।


    आकृष्यते तत्पततिव भाति।
    समेसमंतात क्व पतत्वीयम खे।।

    अर्थात पृथ्वी के अंदर आकर्षित करने की शक्ति है, जिससे वह भारी पदार्थों को अपनी और आकर्षित करती है, जिसके कारण वह पृथ्वी पर गिर पड़ते हैं। लेकिन अगर ऐसी ही समान ताकत आकाश में चारों और से लगने लग जाये तो कोई कैसे गिरेगा, सब एक दूसरे को अपनी और खींचेंगे। आकाश में सब ग्रहों की गुरुत्व शक्ति संतुलन बनाए रखते है।

पढ़ें: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई थी?

गुरुत्व क्या होता है?

जब दो पिंडों में से एक पिंड पृथ्वी हो तो उस समय पृथ्वी द्वारा आरोपित बल को हम गुरुत्व (Gravity) कहते हैं।

गुरुत्व केंद्र किसे कहते हैं?

किसी भी वस्तु का वह केंद्र जहां पर उस वस्तु का पूर्ण भार कार्य करता है और जहां से होकर जाने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा उसके तल से होकर गुजरे उस केंद्र को हम गुरुत्व केंद्र कहते हैं। गुरुत्व केंद्र का उदाहरण है पीसा की झुकी हुई मीनार, पीसा की मीनार झुकी होने के बावजूद भी खड़ी है क्योंकि उसके गुरुत्व केंद्र से होकर गुजरने वाली रेखा उसके तल से होकर जाती है।

गुरुत्वीय क्षेत्र क्या है?

किसी भी पिंड के चारों और का वह सम्पूर्ण क्षेत्र जिसमें उस पिंड द्वारा आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को महसूस किया जा सके, उस क्षेत्र को हम उस पिंड का गुरुत्वीय क्षेत्र कहते हैं।

गुरुत्वीय त्वरण क्या होता है?

जब भी कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से पृथ्वी पर गिरती है तो उस समय पृथ्वी के गुरुत्व बल की वजह से एक त्वरण पैदा होता है, जिसे हम गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। जब कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से पृथ्वी की और आती है तो उसके वेग में वृद्धि होने लगती है, वेग में होने वाली इस वृद्धि को ही हम गुरुत्वीय त्वरण कहते है।

यह वस्तु के आकार, द्रव्यमान या रूप पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि गुरुत्वीय त्वरण सब ग्रहों, उपग्रहों और आकाशीय पिंडों का अलग-अलग होता है। गुरुत्वीय त्वरण को हम g से दर्शाते हैं। g का मान 9.81 मी./ से. होता है।


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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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