दोस्तों, भारत में कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए बहुत सारी कृषि क्रांतियाँ हुई हैं जिनमें से एक है, गुलाबी क्रांति। लेकिन ज़्यादातर लोगों को केवल श्वेत क्रांति और हरित क्रांति के विषय में ही पता है। लेकिन भारत में और भी कृषि क्रांतियाँ हुईं हैं जो की अलग अलग कृषि क्षेत्रों से संबन्धित हैं, जिंहोने भारत को कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि करने में बहुत योगदान किया हैं।
कृषि क्रांतियों के परिणामस्वरूप ही भारत पूरे विश्व में एक बड़े कृषि क्षेत्र में बड़े उत्पादक के रूप में उभरा कर सामने आया है। भारत में श्वेत क्रांति और हरित क्रांति के अलावा भी कृषि क्रांतियाँ हुई हैं, जैसे – नीली क्रांति, पीली क्रांति, बादामी क्रांति, लाल क्रांति, इंद्रधनुषी क्रांति, गोल क्रांति और सुनहरी क्रांति इत्यादि। इस लेख में आपको gulabi kranti के विषय में जानकारी दी गई है।
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गुलाबी क्रांति क्या है? – Gulabi kranti kya hai?
भारत में जैसे हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की शुरुआत खाद्य उत्पादन और गुग्ध उत्पादन में भारत को आत्म निर्भर बनाने के लिए हुई, ठीक वैसे ही गुलाबी क्रांति की शुरुआत भी भारत में झींगा मछली, प्याज और फार्मास्युटिकल में उत्पादन की तकनीक को विकसित करके इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए की गई। हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के परिणामस्वरूप भारत अनाज के आयातक से निर्यातक बन गया और विश्व में अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया।
हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के सफल होने के बाद भारत के हर प्रधान मंत्री ने किसी ने किसी कृषि क्रांति की शुरुआत की ताकि भारत अनाज के अलावा दूसरे कृषि क्षेत्रों में भी आत्म निर्भर बन सके, इसी कड़ी में झींगा मछ्ली, पॉल्ट्री और प्याज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक क्रांति की शुरुआत हुई जिसे गुलाबी क्रांति का नाम दिया गया।
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गुलाबी क्रांति कब हुई?
हरित क्रांति और श्वेत क्रांतियों के परिणामस्वरूप भारत विश्व में अनाज और गुग्ध का सबसे बाद उत्पादक बन गया। इसको देखते हुए हुई देश में विभिन्न कृषि क्रांतियों की शुरुआत हुई। इसी कड़ी में सन्न 1996 में गुलाबी क्रांति की शुरुआत हुई। जिसको शुरू किया गया था झींगा मछ्ली, पॉल्ट्री, फार्मस्युटिकल और प्याज के उत्पादन को बढ़ाने और इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए नवीन उत्पादन तकनीक के विकास के लिए।
गुलाबी क्रांति किससे संबंधित है?
गुलाबी क्रांति का संबंध झींगा मछली, पॉल्ट्री प्रसंस्करण, प्याज और फार्मास्युटिकल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। दरअसल भारत में समुद्री उत्पादों में सबसे ज्यादा योगदान झींगा मछ्ली का होता है और भारत में मवेशियों और भैंसों की अधिकता है और भारत में मुर्गी पालन भी बहुत अधिक मात्रा में होता है। इसलिए इन क्षेत्रों में भी भारत को विश्व में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से गुलाबी क्रांति की शुरुआत हुई। इसके चलते ही भारत सन्न 2014 में ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश बन गया था।
गुलाबी क्रांति के जनक कौन हैं?
भारत में गुलाबी क्रांति के जनक का नाम श्री दुर्गेश पटेल है। जैसे की वरगिस कुरियन के प्रयासों से हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की सफलता के फलस्वरूप भारत अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बना और दूध के उत्पादन में विश्व में पहला स्थान प्राप्त किया वैसे ही, श्री दुर्गेश पटेल के प्रयासों से गुलाबी क्रांति की शुरुआत हुई और भारत में मांस और मुर्गी पालन के क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया गया।
भारत में मवेशियों की संख्या की अधिकता के कारण और मुर्गी पालन करने वालों की अधिकता को दुर्गेश पटेल ने समझा और इन क्षेत्रों में उत्पादन की नवीन तकनीक के विकास की आवश्यकता को समझा, जिससे की झींगा मछली, मांस और मुर्गी पालन के उत्पादन में वृद्धि की उच्च क्षमता को हासिल किया जा सके। श्री दुर्गेश पटेल के प्रयासों से शुरू हुई गुलाबी क्रांति के परिणामस्वरूप भारत विश्व में मांस और झींगा मछली के बड़े उत्पादक के रूप में उभर के सामने आया।
गुलाबी क्रांति के लाभ या परिणाम
- मांस की मांग विदेशों में बहुत ज्यादा है, अगर भारत में मांस का उत्पादन बढ़ेगा तो इस विदेशी मांग को पूरा करके भारत को विदेशी मुद्रा का लाभ मिलेगा, जिसका उपयोग भारत में व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए किया जा सकता है।
- मुर्गी पालन, झींगा मछ्ली के उत्पादन में वृद्धि और मांस उद्योग में विकास होने से देश में रोजगार बढ़ेगा।
- मांस उद्योग, मुर्गी पालन आदि में अपेक्षाकृत कम कौशल और शिक्षा की जरूरत होती है, इसलिए इस क्षेत्र में कम पढे लिखे लोगों और महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर ज्यादा हैं।
- इस क्षेत्र में लगे किसानों की आय बढ़ेगी और उनके जीवन स्तर में वृद्धि होगी।
गुलाबी क्रांति के दुष्परिणाम
- मांस उद्योग के विकास के कारण दूध के उत्पादन में गिरावट आई है।
- मांस उद्योग के परिणामस्वरूप देश में बुचड़खानों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- मांस उद्योग के कारण दुधारू मवेशियों की संख्या में कमी आई है।
- बाजार में मिलावटी दूध मिलने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, क्योंकि घटते हुए दूध के उत्पादन की कमी को मिलावटी दूध से पूरा किया जाता है।
- मांस उद्योग के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप ग्रामीण किसानों के रोजगार में कमी आ रही है, क्योंकि ग्रामीण किसान ज़्यादातर दुग्ध उत्पादन से जुड़े हुए हैं, जिसमें मांस उद्योग में वृद्धि के कारण कमी होती जा रही है।
- देश में गाय और भैंसों की संख्या में कमी आई है, क्योंकि खाद्य और कृषि संगठन गाय और भैंस के मांस को पौष्टिक बताकर प्रचार कर रहा है जिसके चलते इनको काटने के लिए बुचड़खानों की संख्या बढ़ रही है।
गुलाबी क्रांति से संबन्धित सरकारी नियम और नीतियाँ
- किसी भी प्रकार का केंद्रीय उत्पाद शुल्क नहीं देना पड़ता है।
- इस क्षेत्र में 100 % (Foreign Direct Investment or FDI) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी गई है।
- पॉल्ट्री और पॉल्ट्री उत्पादों को निर्यात करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, इसके निर्यात के लिए सरकार द्वारा कुछ सहायक परिवहन कंपनियाँ भी प्रदान की जाती हैं।
- देश में बुचड़खानों के आधुनिकीकरण के लिए भी सरकार द्वारा योजनाएँ बनाई गई हैं।
निष्कर्ष
इस बात में कोई संदेह नहीं की गुलाबी क्रांति के कारण भारत में मांस, झींगा मछली और पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है और भारत विश्व में एक बड़ा निर्यातक बन गया है जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि हो रही है। लेकिन इसके साथ साथ भारत में दुधारू पशुओं की घटती हुई संख्या और ग्रामीण क्षेत्र के किसान जो गुग्ध और अनाज की कृषि से जुड़े हैं उनकी स्थिति में हो रही गिरावट पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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इसके अलावा बढ़ते हुए बुचड़खानों के कारण दुधारू मवेशियों की कटाई में वृद्धि हो गई है, जिससे दुधारू पशुओं की संख्या में गिरावट आ रही है। बुचड़खानों में ऐसे बूढ़े मवेशियों की कटाई होनी चाहिए जो दूध देने में असक्षम हो गए हैं। हमें अनाज, दुग्ध, मांस, फल आदि सब कृषि क्षेत्रों के विकास को साथ – साथ लेकर चलना चाहिए।
गुलाबी क्रांति कब शुरू हुई?
गुलाबी क्रांति 1996 में शुरू हुई।
गुलाबी क्रांति के जनक कौन हैं?
गुलाबी क्रांति के जनक दुर्गेश पटेल हैं।
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गुलाबी क्रांति किससे संबन्धित है?
गुलाबी क्रांति झींगा मछली, पॉल्ट्री उत्पादन और मांश के उत्पादन से संबन्धित है। इसके अलावा इसका संबंध प्याज और फार्मास्युटिकल से भी संबन्धित है।