देशों को व्यापार बढ़ाने में और आगे बढ़ने में वैश्वीकरण ने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है। यदि आप जानना चाह रहे हैं कि वैश्वीकरण क्या है, यह कैसे शुरू हुआ और कैसे इसने हमें लाभ पहुंचाया तो इन सभी की जानकारी हमारे इस लेख में आपको मिलेगी।
आपको यहां पर इसका इतिहास और इससे होने वाले लाभ और हानि आदि के बारे में भी जानने को मिलेगा।
वैश्वीकरण क्या है?
जब एक देश में निर्मित वस्तुओं को दुसरे देश के बाजारों में बेचा जाता है, या दूसरे देशों से निर्यात किया जाता है, तो इस आयात -निर्यात प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते हैं। सब देशों का मिलकर, परस्पर समन्वय और सहयोग से एक बाजार की तरह कार्य करना। व्यापारिक काम काजों में मुख्यतः विपणन सम्बन्धी कार्यों का अन्तर्राष्ट्रीय-करण करना और पूरे विश्व बाजार को एक ही जगह के रूप में देखना।
वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यापार देश की सीमाओं को लांघकर विश्व बाजार के अंतर्गत होने वाले तुलनात्मक लागत सिद्धांतों के लाभों को प्राप्त किया जाता है। वैश्वीकरण में वस्तुओं के आयात निर्यात के प्रतिबंधों को हटा दिया जाता है और विश्व बाजारों में निर्भरता पैदा होती है।
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जब भी किसी देश में व्यापार बढ़ता है, तो उस देश का बाजार व्यापार के अनुसार छोटा लगने लगता है। एक नए बाजार की कमी महसूस होने लगती है, जिसके कारण दुसरे देशों के बाजारों से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। जिस प्रकार से समय के साथ व्यापार बढ़ रहा है, दुनिया के सब देशों को निकट ला दिया है। जिससे पूरी दुनिया के बाजारों का एकीकरण हुआ है। ऐसा होने से लगने लगा है, जैसे पूरा विश्व किसी बड़े गाँव के जैसा है जिसमें एक ही बाजार है।
व्यापार को बढ़ाने और नए बाजारों की खोज ने परिवहन के साधनों में भी बढ़ोतरी की है। जब एक देश के बाजार का, दुसरे देश के बाजार से सम्बन्ध स्थापित होता है तो इसमें परिवहन के साधनों की भी अहम् भूमिका रहती है। वैश्वीकरण ने पूरी दुनिया के बाजारों को बहुत निकट ला दिया है, और इन सब बाजारों ने मिलकर एक नए विश्व बाजार का रूप ले लिया है ऐसा प्रतीत हो रहा है। सब बाजार मिलकर एक इकाई के रूप में कार्य कर रहे हैं।
इसे और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे- पृथ्वी-करण, भूमंडलीय-करण, वैश्वायान जागति-करण।
विद्वानों द्वारा दी गई वैश्वीकरण की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:
- श्रीमती राजकुमारी शर्मा: ‘वैज्ञानिक प्रवृति, मानव कल्याण और आर्थिक समानता के लिए उठाये गए विश्व स्तरीय कदमों को वैश्वीकरण में सम्मिलित किया जाता है।
- एंथनी गिडेंस: विश्व के अलग अलग क्षेत्रों और लोगों के बीच बढती जा रही परस्परिकता को ही वैश्वीकरण कहते हैं।
- प्रो. टी. राघवन: राजनीतिक सीमाओं को लांघकर किसी देश के आर्थिक कार्यों के विस्तार को वैश्वीकरण कहते हैं।
इतिहास
वैश्वीकरण के इतिहास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं।
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- सुमेरियन सभ्यता और सिन्धु घाटी सभ्यता के बीच व्यापारिक सम्बन्ध थे।
- हान राजवंश जो की चीन का एक राजवंश था। उसके यूरोप और एशिया के साथ व्यापारिक रिश्ते कायम थे।
- गुप्त काल से ही भारत का श्रीलंका, मिश्र, रोम, इरान, सीरिया और यूनान से बिना किसी प्रतिबन्ध के व्यापार होने लग गया थे।
- पूर्वी और पश्चिमी समुंदर के उस पार वाले देशों से भी भारत के व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं।
- इस्लाम के उदय के पश्चात मुस्लिम और यहूदी व्यापारी पूरे विश्व में व्यापार के लिए घूम रहे थे।
- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद वैश्वीकरण में बहुत वृद्धि हुई थी।
- 19वीं शताब्दी के औद्योगीकरण की वजह से वस्तुओं की संख्या में वृद्धि हुई जिसके कारण नए बाजारों की खोज हुई, ताकि इन वस्तुओं को बेचा जा सके। इससे पूरे विश्व में और मुख्यतः यूरोप में अनेक बाजारों का निर्माण हुआ।
- 1990 वाले दशक में वैश्वीकरण पूरी दुनिया में फैल गया और उसने पूरे विश्व बाजार को एक इकाई का रूप दिया।
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात बहुत सारे आजाद देशों का उदय हुआ, इसके पश्चात वह स्वतंत्र रूप से व्यापार करने लग गए।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व व्यापार संगठन और विश्व बैंक जैसे संगठनों का निर्माण हुआ जिससे विश्व व्यापार को बढ़ावा मिला और विश्व व्यापार के प्रतिबंधों में कमी आई।
कारण
इसकी शुरुआत के कुछ कारण रहे हैं। समय के साथ देशों ने इसकी महत्त्वता को समझा और कुछ ऐसी घटनाएँ घटित हुई, जिस कारण यह बहुत तेज़ी बढ़ा। धीरे-धीरे देश को यह समझ में आया कि आखिर वैश्वीकरण के क्या फायदे हैं और किस प्रकार से वह इसकी मदद से अपने देश की तरक्की कर सकते हैं।
- सोवियत संघ का पतन होने के पश्चात अमेरिका और सोवियत संघ में चल रहा शीत युद्ध भी ख़त्म हो गया। इसके बाद अमेरिका एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया। अमेरिका उदारवादी लोकतंत्र, वैश्वीकरण और पूंजीवाद को मानने वाला राष्ट्र था। अमेरिका से प्रभावित होकर भी बहुत से राष्ट्रों ने लोकतंत्र के मूल्यों को स्वीकार किया जिसके साथ साथ वैश्वीकरण को भी बढ़ावा मिला।
- शीत युद्ध में पूंजीवाद की जीत और साम्यवाद हार हुई। जिसके कारण राष्ट्रों में पूंजीवाद की धारणा फैलने लगी। पूंजीवाद ने साम्यवाद को हराकर अपना वर्चस्व कायम किया था, इसलिए अधिकतर राष्ट्रों में यह धारणा फैलने लगी कि पूंजीवाद ही अच्छी शासन व्यवस्था और आर्थिक विकास के लिए श्रेष्ठ है। इस धारणा ने ही राष्ट्रों को पूंजीवाद पर आधारित अर्थव्यवस्था को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जिससे वैश्वीकरण ने जन्म लिया।
- सूचना और संचार के साधनों की खोज और उनके तीव्र प्रचार और प्रसार से हर व्यक्ति विश्व के साथ जुड़ गया था। 1990 के पश्चात इन्टरनेट, उपग्रह, टेलीविज़न इत्यादि साधनों से प्रत्येक व्यक्ति को विश्व की सूचना मिलने लगी। इनसे प्रभावित होकर, संकीर्ण राष्ट्रीय भावनाएँ कमजोर हुई। इस प्रकार से सूचना और संचार तकनीक पूरे विश्व में पैर पसारने लगी। प्रत्येक व्यक्ति वैश्वीकरण के बारे में सोचने लगा, जिसके फलस्वरूप वैश्वीकरण का उदय हुआ।
- लम्बे समय तक चले शीत युद्ध के ख़त्म होने के साथ ही पुरानी विश्व व्यवस्था भी ख़त्म हो चुकी थी। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ वैसी ही बनी रही, जिसके कारण एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत महसूस हुई। इस व्यवस्था के निर्माण के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं को स्थापित किया गाय। इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य मानव अधिकारों की अवहेलना पर रोक लगाना, युद्ध रोकना, पर्यावरण को संतुलित रखना, विश्व में शान्ति कायम रखना, दो राष्ट्रों में विवादों को शांति से सुलझाना, ग़रीबी को दूर करना और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को रोकना इत्यादि। इन सभी समस्याओं के हल के लिए जिस नई व्यवस्था का निर्माण किया गया, उसी व्यवस्था को वैश्वीकरण कहा गया।
- सोवियत संघ के पतन के पश्चात विश्व की राजनीति में उथल पुथल हुई और नई धारणाओं के साथ, राजनीतिक प्रवृतियों की उत्पत्ति हुई। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात के रूस ने राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक माध्यमों द्वारा अनेक पश्चिमी राष्ट्रों और अमेरिका पर निर्भरता को प्रदर्शित किया। सोवियत संघ के विघटन ने और इस निर्भरता ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया।
विशेषताएं
वैश्वीकरण क्या है सवाल के जवाब को जानने के साथ इसकी विशेषताएं भी आपको जानना जरूरी है। वैश्वीकरण की विशेषताएं जानकर आप इसके महत्व को समझ सकते हैं।
- इसमें सूचना और प्रौद्योगिकी की अहम् भूमिका है, मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पूरे विश्व के बाजारों को जोड़कर विश्व को ही एक विश्व गाँव का रूप दिया है।
- इसमें अर्थव्यवस्था में खुलापन पैदा किया जाता है और वैश्वीकरण स्वतन्त्र बाजार के सिद्धांतों पर आधारित है।
- इसमें आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी सम्मिलित हैं। वैश्वीकरण में इनका भी विस्तार होता है।
- इसमें विश्व के सभी देशों के नीति, नियमों, प्रक्रियाओं और विनियमों में सामंजस्य और समन्वय उत्पन्न किया जाता है।
- इसमें व्यापारिक प्रतिबंधों को कम से कम करने का प्रयास किया जाता है जिससे मुक्त रूप से वैश्विक व्यापार सुचारू रूप से चलता रहे।
- इसमें पूँजी, तकनीक और श्रम का एक देश से दुसरे देशों में स्वतन्त्र रूप से प्रवाह होता है।
- इसमें विश्वव्यापी समस्याओं के समाधान के लिए सब देशों में सहमती और एकजुटता लाने के लिए सहयोग में वृद्धि होती है।
- इससे श्रम बाजार के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलता है।
- इसमें परिवहन के साधनों में क्रांतिकारी विकास हुआ है जिससे विश्व के देशों के बीच भौगोलिक दूरियां सिमट गई हैं। और पूरा विश्व एक मंच पे आ गया है।
- बिचौलियों की संख्या को इससे बढ़ावा मिलता है। वैश्वीकरण के चलते बहुत सारे एजेंट लोगों को एक देश से दुसरे देश में वैध या अवैध तरीके भेजते हैं और आयात निर्यात के कार्यों के लिए एजेंटों की संख्या में भी वृद्धि होती है।
- वैश्वीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या में भी क्रन्तिकारी बढ़ोतरी हुई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multi National Company) के द्वारा सेवाओं, वस्तुओं, तकनीकों, प्रबंधकों, विशेषज्ञों और पूंजी की एक देश से दुसरे देश में आवाजाही में सहयोग में बढ़ोतरी हुई है।
निष्कर्ष
वैश्वीकरण ने हमारे जीवन को बदल कर रख दिया है। जब लोगों ने यह समझा और जाना की वैश्वीकरण क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हैं, उसके बाद यह बहुत तेजी से बड़ा और उसने पूरी दुनिया को ही बदल कर रख दिया। आज के समय सभी देश एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं और अनेकों अंतरराष्ट्रीय समझौते और संगठन बने हैं। जिनका मकसद है कि किस प्रकार से मानव जाति का भला किया जा सके।
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