रजत क्रांति को सिल्वर क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इसका संबंध अंडा उत्पादन और मुर्गी पालन से है। आज के समय में भारत में दूसरे देश जैसे अमेरिका की तुलना में एक मुर्गी का अंडा का उत्पादन करती है। फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और मुर्गी पालन के लिए रजत क्रांति की शुरुआत की गई।
इस लेख में हम रजत क्रांति क्या है, रजत क्रांति के जनक, रजत क्रांति के उद्देश्य और रजत क्रांति किससे संबंधित है, आदि सवालों पर रोशनी डालेंगे और इससे संबंधित जानकारियां आपको यहां पर मिलेंगी।
रजत क्रांति क्या है?
देश में मुर्गी पालन और अंडे के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक क्रांति की शुरुआत की गई जिसे रजत क्रांति का नाम दिया गया। इसमें यह निर्धारित किया गया कि कैसे मुर्गियों से अधिक से अधिक अंडों का उत्पादन किया जा सके और मांस का उत्पादन तेजी से हो जिसके लिए देश में पांच बड़े कुक्कुट फार्म खोले गए।
देश के बड़े पांच कुक्कुट फार्म कहां स्थित है:
- बेंगलुरु
- मुंबई
- दिल्ली
- शिमला
- भुवनेश्वर
इन 5 शहरों में 5 बड़े गोट फार्म को खोला गया और विदेशों से उन्नत नस्ल की मुर्गी को देश में लाया गया। जिसके पश्चात शोध करके इन नई किस्मों की मुर्गियों का विकास किया गया जिससे भारत में अंडा उत्पादन और मुर्गी पालन को बढ़ावा मिला। आज के समय में मुर्गी व्यवसाय देश का एक उभरता हुआ व्यवसाय है।
रजत क्रांति का उद्देश्य
रजत क्रांति का उद्देश्य अंडा उत्पादन में बढ़ोतरी और मुर्गी के किसानों को उन्नत बनाकर मुर्गी पालन को बढ़ावा देना है। इसके परिणाम स्वरूप आज भारत में लगभग 13 से 14 फ़ीसदी वार्षिक दर से मुर्गी पालन का व्यवसाय बढ़ रहा है और आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा अंडा उत्पादक राज्य है।
रजत क्रांति का उद्देश्य ना सिर्फ अंडा उत्पादन में बढ़ोतरी करना था बल्कि कुछ अन्य उद्देश्य भी किस क्रांति में निर्धारित किए गए थे जो निम्न प्रकार से हैं:
- मुर्गियों और अंडों में बीमारियों की रोकथाम के लिए जैव सुरक्षा और प्रौद्योगिकी तरीकों को अपनाना,
- अंडा के उत्पादन के साथ उनकी गुणवत्ता को बढ़ाना।
- मुर्गे और मुर्गियों के संकरण को प्राप्त करने के लिए चिकित्सा विज्ञान के प्रोटोकॉल को अपनाना।
- अंडों की सफाई के साथ पैकेजिंग और उल्लेखित पोषक मूल्यों को स्पष्ट रूप से लिखना।
- अंडों के उत्पादन के साथ इनकी खपत को बढ़ावा देना।
- बड़े पैमाने पर अंडों को दूसरे देशों में निर्यात करना।
- विज्ञान के द्वारा अंडों के उत्पादन में बढ़ोतरी।
- दूसरे देशों की अंडों की मांग और उससे बनने वाली चीजों की पूर्ति करना।
- पोल्ट्री फार्म उद्योगों को बढ़ावा देना जिससे किसानों आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके।
रजत क्रांति किससे संबंधित है और यह कैसे शुरू हुई?
रजत क्रांति की शुरुआत वर्ष 1969 से 1978 के बीच हुई थी और यह इंदिरा गांधी के शासन काल था। उसमें डॉक्टर बीवी राम पोल्ट्री उद्योग के विशेषज्ञ थे और उनकी सहायता से भारत में रजत क्रांति ने जन्म लिया। क्योंकि यह क्रांति इंदिरा गांधी के समय में शुरू हुई थी और इन्होंने इस क्रांति को लाने और आगे बढ़ाने में एक विशेष योगदान दिया था इसीलिए इंदिरा गांधी को रजत क्रांति का जनक माना जाता है।
भारत देश में यह भ्रांति 9 वर्षों तक चली जिसके परिणाम स्वरूप अंडे का उत्पादन भी बहुत तेजी से बढ़ा है। आज के समय में सबसे अधिक अंडों का उत्पादन अमेरिका और चीन जैसे देश करते हैं परंतु भारत का स्थान इन के बाद तीसरे स्थान पर आता है।
भारत में जिस प्रकार से अंडे का उत्पादन तेजी से हुआ है उसका पूरा श्रेय रजत क्रांति को ही जाता है। रजत क्रांति को सफल बनाने के लिए भारत सरकार की नीतियों के साथ निजी संस्थाओं ने भी सहयोग किया है। वेकिंज एक निजी पोल्ट्री कम्पनी थी, जिनके संस्थापक डॉ भीमराव रजत क्रांति के प्रेरणा बने।
रजत क्रांति की विशेषताएं और परिणाम
- इस क्रांति से पोल्ट्री फार्मिंग में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया और जो सुरक्षा दिशा निर्देशों का पालन किया गया।
- दूसरे देशों में निर्यात करने के लिए अंडों का उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता को भी बढ़ाया गया।
- लोगों को एक अच्छा भोजन उपलब्ध कराने के लिए अंडों को अलग-अलग भोजन कार्यक्रमों और अस्पतालों में बढ़ावा दिया गया।
- यह सुनिश्चित किया गया कि अंडों की एक साफ-सुथरी पैकिंग हो और पोषण सामग्री के साथ साथ समाप्ति तिथि नहीं उन पैकेट पर अंकित की जाए।
- क्योंकि अंडे नाजुक होते हैं इसलिए इनके उत्पादन के बढ़ने के साथ-साथ दूसरे देशों की आपूर्ति करने और भारत से निर्यात करने के लिए सावधानीपूर्वक व्यवस्था को बढ़ावा मिला।
- इसके पश्चात अंडा उत्पादन के नियमों में विस्तार करने की आवश्यकता हुई और जरूरतों को देखते हुए ऐसा किया गया।
यह कुछ ऐसी रजत क्रांति की विशेषताएं और परिणाम हुए जिससे पोल्ट्री फार्म व्यवसाय बहुत तेजी से आगे बढ़ा और अंडों का उत्पादन में भी बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। प्रदेश के साथ-साथ इस क्रांति की कुछ चुनौतियां भी हैं, जिन्हें नीचे बताया गया है।
सिल्वर क्रांति की चुनौतियां
सिल्वर क्रांति या नहीं रजत क्रांति की कुछ चुनौतियां भी हैं जिनका हमें आज के समय में सामना करना पड़ रहा है।
- दुनिया के देशों ने अपने चिकन उत्पादन को शुरू किया है जिस कारण एक देश से दूसरे देशों में इनका निर्यात काफी हद तक कम हुआ है।
- पोल्ट्री फार्म लगाने से पोल्ट्री फार्म के आसपास की सामाजिक समस्याएं देखने को मिली है।
- अधिक प्रोडक्शन होने से इनका अपशिष्ट बचता है जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण भी होता है।
- अंडों और पोल्ट्री फार्म से होने वाले प्रदूषण के कारण हानिकारक गैसों का निर्माण होता है और बैक्टीरिया तड़पते हैं।
निष्कर्ष
भारत की जनसंख्या की अधिकांश मांग घरेलू उत्पादन से ही पूरी होती है। इसके अलावा मध्य पूर्व के देशों में भारत अंडे और पोल्ट्री से संबंधित चीजों का निर्यात करता है और जिस कारण भारत के किसान और पोल्ट्री फार्म इकाई चलाने वाले लोग आर्थिक रूप से भी समृद्ध हुए हैं।
रजत क्रांति और इससे संबंधित जानकारियों को अपने दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वह भी इसके बारे में अच्छी प्रकार से सरल हिंदी भाषा में समझ सके और उन्हें ज्ञान प्राप्त हो सके।
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